EducationHealthCovid-19Job Alert
Uttarakhand | Tehri GarhwalRudraprayagPithoragarhPauri GarhwalHaridwarChampawatChamoliUdham Singh NagarUttarkashi
AccidentCrimeUttar PradeshHome

अद्भुत : बाइक से पूरी की आदि कैलाश व ओम पर्वत तक 684 किमी की यात्रा

01:21 PM Jun 14, 2024 IST | CNE DESK
आदि कैलाश
Advertisement

📌 सकुशल वापस लौटे अल्मोड़ा के 15 जांबाज राइडर्स 

विशेष : हिमालयन एडवेंचर बाइक राइडर ग्रुप अल्मोड़ा के पंद्रह सदस्यों द्वारा कुमाऊँ के पिथौरागढ़ (उत्तराखंड) जिले के आदि कैलाश एवं ओम पर्वत की 684 किलोमीटर की यात्रा पूरी की गई। जिसके बाद सभी बाइक राइडर्स सकुशल अल्मोड़ा लौट आए हैं।

Advertisement

अल्मोड़ा से प्रस्थान करता हिमालयन एडवेंचर बाइक राइडर ग्रुप अल्मोड़ा

सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा : बाइकर ग्रुप ने अल्मोड़ा से 9 जून को यात्रा प्रारंभ की। यह बाइक राइडर ग्रुप अल्मोड़ा से दनिया, घाट, पिथौरागढ़ जोलजीवी होता हुआ 206 किलोमीटर की दूरी पार कर धारचूला पहुंचा। 10 जून को धारचूला से तवाघाट, पांगला, मांगती, गर्भाधार, बूँदी, छियालेख, गरब्यांग, नपलच्यु होता हुआ गुंजी गांव पहुंचा। जहां राइडर्स ने रात्रि विश्राम किया।

Advertisement

गुंजी गांव के पास

जांबाजी से पार किया तेज बहाव का नाला

तीसरे दिन गुंजी से आदि कैलाश को प्रस्थान किया, जो लगभग 40 किलोमीटर की दूरी पर है। इस मार्ग में एकाध स्थान पर ही सोलिंग किया मार्ग मिला, शेष मार्ग डामर किया हुआ था। इस घाटी में कुटी यांगति नदी बहती है लेकिन, कुटी गांव से पहले एक तेज बहाव के नाले को बाइक सवारों ने बहुत ही जांबाजी से पार किया। उसके बाद जोलिङकौंग पहुंचकर विहंगम आदि कैलाश के दर्शन किये। ततपश्चात पार्वती सरोवर व स्थानीय मंदिर के दर्शन कर वापस गुंजी की ओर को लौट गए।

इस बीच नाबि, गुंजी, नपलच्यु पड़ाव पर पहुंचकर क्षेत्र के ग्रामीण जनों से स्थानीय शौका समाज की लोक संस्कृति, पर्यटन, तीर्थाटन, पर्यावरण, कृषि, जड़ी—बूटी, स्थानीय परंपरागत ज्ञान एवं जलवायु के बदलते हुए मिजाज के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त की गई। साथ मे पूर्व परंपरागत ज्ञान से बने भवनों एवं काष्ठ कला आदि का अध्यन किया।

Advertisement

आदि कैलाश पहुंचा ग्रुप

जलवायु परिवर्तन के दुष्परिणामों ने चौंकाया

1994 मे लेखक द्वारा इस घाटी मे तवाघाट चोदास, व्यास से सिनला दर्रा पार कर दारमा घाटी से सोपला होता हुआ धारचुला तक पैदल ट्रैक किया था। सन् 1994 के मुकाबले 2024 मे टिंबर लाइन के तेजी से पीछे खिसकने व तेजी से आदि कैलाश पर्वत के नीचे फैले ग्लेशियर के सिकुड़ने एवं पीछे खिसकने पर चिंता व्यक्त की।

अगली सुबह हिमालयन एडवेंचर बाइक राइडर ग्रुप अल्मोड़ा द्वारा ओम पर्वत की ओर को रवाना हुआ। काला पानी पहुंचने से पहले एक रोंगटे खड़े करने वाला पानी का नाला बहुत ही जोखिम भरा हुआ था। जिसे बहूत ही जोश— खरोश के साथ पार किया। गुंजी पड़ाव से नाभीढांग ओम पर्वत की दूरी 20 किलोमीटर की है। इस मार्ग में अभी तक केवल सोलिंग हुई है। डामर करने का कार्य अभी तक बचा हुआ है। यह मार्ग भारत—तिब्बत और चीन की सीमा लिपुलेख दर्रे को जाता है।

Advertisement

ओम पर्वत

ओम पर्वत का अविस्मरणीय नजारे ने किया मंत्रमुग्ध

इसके बाद दल ने काला पानी मंदिर के पास काली नदी के स्रोत पर स्थापित मंदिर के दर्शन किए एवं काली नदी के स्रोत पर जाकर के उसको बारीकी से देखा। यह भारत—नेपाल की अंतरराष्ट्रीय सीमा का निर्धारण करती है। फिर नाभीढांग, ओम पर्वत को प्रस्थान किया। पर्यटकों से गुलजार नाभीढांग से ओम पर्वत का अविस्मरणीय नजारा देखा, जो कुदरत ने प्राकृतिक रूप से बर्फ से उकेरा हुआ है।

आदि कैलाश व ओम पर्वत तक 684 किमी की यात्रा

ओम पर्वत से बाइक सवार गुंजी से तवाघाट होता हुआ 76 किलोमीटर दूर धारचूला पहुंचा। 12 जून को सुबह धारचूला से कनालीछीना, पिथौरागढ़, घाट होता हुआ देर रात अल्मोड़ा पहुंचने में सफल हुआ। हिमालय एडवेंचर बाइक राइडर ग्रुप में अल्मोड़ा के राजेश बिष्ट, दीपक शाही, मनीष थापा, डॉ महेंद्र सिंह मिराल, उत्तम सिंह, गणेश सिंह शाही, राजू थापा, जितेंद्र सिंह देसवाल, अभिषेक टम्टा, देवेंद्र सिंह बिष्ट, योगेंद्र आगरी, बच्चन सिंह, निहाल सिंह, किशन सिंह खोलिया एवं साज सिंह द्वारा सफलतापूर्वक प्रतिभाग किया गया।

नोट : जानकारी उत्तराखंड हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण के अध्येता एवं शिक्षक डॉ महेंद्र सिंह मिराल द्वारा दी गयी है।

Related News