अरविंद केजरीवाल आज मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे
नई दिल्ली | अरविंद केजरीवाल आज दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देंगे। सुबह 11:30 बजे उन्होंने CM हाउस में विधायक दल की बैठक बुलाई है। इसमें नए CM का नाम तय होगा। AAP दोपहर 12 बजे नए CM की घोषणा करेगी। शाम 4:30 बजे केजरीवाल उपराज्यपाल (LG) विनय सक्सेना को इस्तीफा सौंपकर नए CM का नाम बताएंगे। इसी हफ्ते नए CM और कैबिनेट का शपथ ग्रहण भी होगा।
खास बात यह है कि आज ही PM मोदी का 74वां जन्मदिन है। सूत्रों के मुताबिक आतिशी, कैलाश गहलोत, गोपाल राय और सुनीता केजरीवाल में से कोई एक दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री बन सकता है। हालांकि, सौरभ भारद्वाज ने विधायक दल की मीटिंग से पहले कहा- मुझे नहीं लगता कि सुनीता केजरीवाल नई CM होंगी। उनकी इसमें कोई दिलचस्पी नहीं है।
13 सितंबर को शराब नीति केस में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद केजरीवाल ने 15 सितंबर को मुख्यमंत्री पद छोड़ने का ऐलान किया था। उन्होंने कहा था कि, 'अब जनता तय करे कि मैं ईमानदार हूं या बेईमान। जनता ने दाग धोया और विधानसभा चुनाव जीता तो फिर से कुर्सी पर बैठूंगा।'
केजरीवाल ने इस्तीफा क्यों दे रहे, 3 बातें...
1. मुख्यमंत्री तो हैं, लेकिन पावर नहीं
दिल्ली शराब नीति केस में अरविंद केजरीवाल 177 दिन बाद जमानत पर जेल से बाहर आए। सुप्रीम कोर्ट ने शर्त रखी कि वे CM ऑफिस नहीं जाएंगे और न ही किसी फाइल पर साइन करेंगे। यानी जेल से बाहर आने और मुख्यमंत्री रहते हुए भी उनके पास पावर नहीं रही।
2. सिर्फ 5 महीने का कार्यकाल बचा
दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल फरवरी 2025 में खत्म हो रहा है। यानी सरकार के पास चुनाव में सिर्फ 5 महीने ही बचे हैं। इस दौरान सरकारें लोक-लुभावन चुनावी फैसले लेती हैं। केजरीवाल कोर्ट की शर्तों में बंधे हैं। जेल से छूटने के बाद केजरीवाल के साथ सहानुभूति है। दो-तीन महीने पहले दिल्ली में चुनाव की मांग कर केजरीवाल इसे भुनाना चाहेंगे।
3. ईमानदार नेता की छवि को मजबूत करेंगे
दिल्ली शराब नीति केस में नाम आने और गिरफ्तारी के बाद से ही भाजपा के नेता अरविंद केजरीवाल से मुख्यमंत्री पद छोड़ने की मांग कर रहे थे। इस्तीफा देने के बाद वे भाजपा नेताओं को सीधे कह सकेंगे कि सिर्फ आरोप रहते उन्होंने मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया। अब उनकी ईमानदारी का फैसला जनता करेगी।
केजरीवाल इस्तीफे के बाद क्या करेंगे
केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से भले हट जाएं, लेकिन वे आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक बने रहेंगे। इस्तीफे के बाद उनका पूरा फोकस हरियाणा विधानसभा चुनाव पर होगा। वे पार्टी प्रत्याशियों के लिए फुल टाइम प्रचार कर पाएंगे। AAP कांग्रेस से गठबंधन पक्का नहीं होने के बाद सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ रही है। केजरीवाल खुद हरियाणा में सिरसा जिले के सिवानी गांव के रहने वाले हैं। इसके बाद वे झारखंड और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव पर फोकस करेंगे। झारखंड में आप झामुमो के साथ मिलकर चुनाव लड़ सकती है।
मुख्यमंत्री रहते कई विवादों में जुड़ा केजरीवाल का नाम, शराब नीति घोटाला सबसे चर्चित
खालिस्तानी संगठनों से 133 करोड़ रुपए लेने का आरोप
मार्च 2024 में वर्ल्ड हिंदू फेडरेशन ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल की पार्टी ने 2014 से 2022 के बीच खालिस्तानी आतंकी समूहों से 133 करोड़ रुपए लिए थे, ताकि देवेंद्र पाल भुल्लर की रिहाई कराई जा सके। इसके बाद वीके सक्सेना ने दिल्ली CM अरविंद केजरीवाल के खिलाफ NIA जांच की सिफारिश की। हालांकि आप ने आरोपों का खंडन किया था।
दिल्ली शराब नीति घोटाला
2021 में केजरीवाल सरकार नई शराब नीति लाई। जुलाई 2022 में LG ने इसमें गड़बड़ी बताते हुए CBI जांच की सिफारिश की। अगस्त 2022 में ED-CBI ने केस दर्ज किए। केजरीवाल को ED और CBI ने गिरफ्तार किया, उन्हें घोटाले का मास्टरमाइंड बताया। जुलाई में ED और सितंबर में CBI केस में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। वे करीब 177 दिन तिहाड़ जेल में रहे।
अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग
11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया। साथ ही कहा कि दिल्ली LG राज्य सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे। यह आदेश आने के कुछ देर बाद CM अरविंद केजरीवाल ने सर्विस सेक्रेटरी आशीष मोरे को हटा दिया था। LG ने आशीष मोरे के खिलाफ लिए गए इस फैसले पर रोक लगा दी है। फिलहाल मामला सुप्रीम कोर्ट में है।
ठग सुकेश का दावा- प्रोजेक्ट के बदले तोहफे दिए
ठग सुकेश चंद्रशेखर ने दिल्ली LG सक्सेना को लिखी चिट्ठी में कहा है कि उसने करोलबाग में एक प्रोजेक्ट दिलाने के गिफ्ट के तौर पर घर के रिनोवेशन के लिए फर्नीचर भेजा था। इसमें राल्फ लॉरेन और विजनायर ब्रांड का फर्नीचर भी शामिल था। इसके अलावा 90 लाख रुपए की चांदी की क्रॉकरी भी उन्हें दी।
अप्रैल 2023 में मिला राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा
चुनाव आयोग ने 10 अप्रैल 2023 को आम आदमी पार्टी को आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा दिया था। किसी पार्टी को नेशनल पार्टी का दर्जा हासिल करने के लिए लोकसभा या विधानसभा चुनाव में चार राज्यों में 6% वोट हासिल करना जरूरी होता है। पार्टी दिल्ली, पंजाब, गोवा और गुजरात में 6% से ज्यादा वोट शेयर हासिल कर चुकी है। दिल्ली के अलावा पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार है। पार्टी का संगठन हरियाणा और गुजरात में भी मजबूत है। पार्टी के लोकसभा में तीन जबकि राज्यसभा में 10 सांसद है। देश के अन्य राज्यों में भी AAP के कैडर एक्टिव हैं।