EducationHealthCovid-19Job Alert
Uttarakhand | Tehri GarhwalRudraprayagPithoragarhPauri GarhwalHaridwarChampawatChamoliUdham Singh NagarUttarkashi
AccidentCrimeUttar PradeshHome

करोड़ों के बैंक ऋण घोटाले के आरोपी वधावन बंधुओं की जमानत याचिका रद्द

03:44 PM Jan 24, 2024 IST | CNE DESK
Supreme Court
Advertisement

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने करोड़ों रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉर्पोरेशन लिमिटेड (डीएचएफएल) के पूर्व प्रमोटरों कपिल वधावन और उसके भाई धीरज की डिफ़ॉल्ट जमानत बुधवार को रद्द कर दी।

न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और न्यायमूर्ति एस सी शर्मा की पीठ ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा कि इस अदालत को यह मानने में कोई हिचकिचाहट नहीं है कि वधावन बंधुओं के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया और उचित समय पर संज्ञान लिया गया, लेकिन वे (वधावन बंधु) अधिकार के तौर पर वैधानिक जमानत का दावा नहीं कर सकते।

Advertisement

पीठ ने हाई कोर्ट और निचली अदालत द्वारा आरोपियों को 'डिफॉल्ट' जमानत देने फैसले को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कहा कि निचली अदालत वधावन बंधुओं की नियमित जमानत के मामले में नए सिरे से सुनवाई कर सकती है। सीबीआई ने 42,871.42 करोड़ रुपये के बैंक ऋण घोटाला मामले में कपिल वधावन और उनके भाई धीरज को निचली अदालतों द्वारा दी गई वैधानिक जमानत को चुनौती दी थी।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सीबीआई का पक्ष रख रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि इस मामले में आरोप पत्र 90 दिनों की निर्धारित वैधानिक अवधि के भीतर दायर किया गया और फिर भी आरोपी को वैधानिक जमानत दी गई थी।

Advertisement

आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) के प्रावधानों के मुताबिक यदि जांच एजेंसी 60 या 90 दिनों की अवधि के भीतर किसी आपराधिक मामले में जांच के समापन पर आरोप पत्र दाखिल करने में विफल रहती है तो आपराधिक आरोपी को वैधानिक जमानत लेने की अनुमति दी जाती है।

सीबीआई ने इस मामले में मुकाम (एफआईआर) दर्ज करने के बाद गिरफ्तारी के 88वें दिन आरोप पत्र दायर किया और निचली अदालत ने आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत दे दी और दिल्ली उच्च न्यायालय ने पिछले साल मई में उस आदेश पर मुहर लगा दिया था।

Advertisement

उच्च न्यायालय ने निचली अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली सीबीआई की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उन्हें जमानत देने का निर्णय ‘अच्छी दलीलों और तर्कों पर आधारित’ था।

सीबीआई का आरोप है कि डीएचएफएल, इसके तत्कालीन सीएमडी कपिल वधावन, निदेशक धीरज और अन्य आरोपियों ने यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले 17 बैंकों के कंसोर्टियम को 42,871.42 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी करने के लिए आपराधिक साजिश रची थी।

Related News