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भारत विरोधी खालिस्तानियों की कठपुतली बने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो !

07:15 PM Sep 21, 2023 IST | CNE DESK
भारत विरोधी खालिस्तानियों की कठपुतली बने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो
भारत विरोधी खालिस्तानियों की कठपुतली बने कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो

👉 कनाडा के विनाश का कारण बनेगी टूडो की नीति, जानिए क्यों बिगड़े रिश्ते

India-Canada relations: कनाडा की धरती पर लगातार हो रही भारत विरोधी गतिविधियों पर अंकुश लगाना तो दूर उनको पुष्पित—पल्लवित करने की कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की नीति ने दो देशों के संबंध में बड़ी दरार पैदा कर दी है। यदि यह कहा जाये कि टूडो की कार्यप्रणाली एक दिन नीति कनाडा के विनाश का कारण बनेगी तो अतिशियोक्ति नहीं होगी।

India vs Canada : दरअसल, भारत व कनाडा के बीच लगातार संबंधों में पड़ रही दरार को समझने के लिए हमें मौजूदा हालातों को गंभीरता से समझना होगा। 84 के दशक में भूतपूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के दौर में खालिस्तानी आतंकवाद पंजाब प्रांत से शुरू हुआ था। उस दौरान आतंकवादियों ने जमकर खून की होली की थी। खास तौर पर हिंदू समाज के लोगों को निशाना बनाया गया। आतंकवादी भिंडरवाले के नेतृत्व में आतंकवाद ने जमकर पांव पसार दिए थे। बकायदा हिट लिस्ट सार्वजनिक कर खालिस्तानियों का विरोध करने वालों को चुन—चुनकर निशाना बनाया जाता रहा।

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ऐसे दौर में जब पानी पार हो गया तो तत्कालीन सरकार ने आपरेशन ब्लू स्टार चलाकर गोल्डन टैंपल में आतंकवादी भिंडरवाले को मौत के घाट उतार दिया। इस आपरेशन में बड़ी संख्या में भारतीय सैनिक भी ​वीरगति को प्राप्त हुए थे। आतंकवाद के खात्मे के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को भी अपनी शहादत देनी पड़ी थी।

जब पंजाब का आतंकवाद शांत हुआ तो सात समंदर पार कनाडा में इसके बीज पड़ने लगे। बड़ी संख्या में सिख समुदाय के लोग पंजाब गए। जिनको भड़काने का काम लगातार जारी रहा। पाकिस्तान ने ऐसी साजिश रची कि कनाडा में आने वाले हर सिख को खालिस्तान समर्थकों के साथ खड़ा होने के लिए बाध्य किया जाने लगा।

वर्तमान में कनाडा में एक बड़ी आबादी सिखों व खालिस्तानियों की हैं। बताया जाता है कि खालिस्तानी समर्थक बड़ी तादात का लाभ उठाते हुए राजनीति में सक्रिय हैं। कनाडा की राजनीति में भी वर्तमान में खालिस्तानियों का वर्चस्व है। कनाडा के मूल ना​गरिक ही अब ​खालिस्तानियों के आगे बौने दिखने लगे हैं। यह हालाता निश्चित रूप से चिंता में डालने के हैं। जहां मूल निवासी बाहरी देश से आने वाले अराजकों के आगे कमजोर पड़ते दिखने लगे हों।

ऐसे दौर में उम्मीद की जा रही थी कि वर्तमान प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो Justin Trudeau ने ना केवल खालिस्तानियों के आगे घुटने टेक दिए, बल्कि खुलकर आतंकियों के समर्थन में बयानबाजी भी शुरू कर दी है। टूडो की नीति के चलते पूरे विश्व में कनाडा की बदनामी हो रही है। यही नहीं, नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार ने उन्हें सख्त चेतावनी भी जारी कर दी है। जिसके बाद दोनों देशों में तनाव लगातार बढ़ता जा रहा है।

इन हालातों में कनाडा में रह रहे हिंदुओं और भारत समर्थकों के हालात सबसे बुरे हो चुके हैं। लगातार भारत समर्थक लोगों पर हमले हो रहे हैं। हिंदू मंदिरों को भी निशाना बनाया जा रहा है। मोदी सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए कनाडा सरकार से जब सख्त लहजे में शिकायत की तो खालिस्तानियों के फंड में पल रहे टूडो भड़क गए। जस्टिन ट्रूडो ने अपने देश की संसद में कनाडा में खालिस्तान समर्थक नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या करने का आरोप भारत सरकार की एजेंसियों पर बिना सोचे—समझे लगा दिया। माना जा रहा है कि उनका यह बयान भी खालिस्तानियों के दबाव में ही आया है।

बयान जारी करने के बाद कनाडा ने अपने यहां शीर्ष भारतीय राजनयिक को सस्पेंड भी कर दिया। भारत ने भी ईंट का जवाब पत्थर से दिया है। नई दिल्ली में कनाडा के उच्चायुक्त कैमरून मैके को निष्कासित कर देश छोड़ने का आदेश जारी कर दिया गया है।

ज्ञात रहे कि सारे फसाल की जड़ भारत सरकार द्वारा घोषित भगोड़ा आतंकी हरदीप सिंह निज्जर है। जिसकी इस साल जून में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। खालिस्तानी व भारत विरोधी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर एक कनाडाई नागरिक था।

कुछ अन्य घटनाक्रम —

कनाडाई प्रधानमंत्री ट्रूडो के बेतुके आरोपों भारत ने नकार दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार जस्टिन ट्रूडो द्वारा दिए गए ऐसे बयान खालिस्तानी आतंकवादियों और चरमपंथियों से ध्यान हटाने की एक कोशिश है, जिसे कनाडा में आश्रय मिलता रहा है।

उधर कनाडा ने अपने प्रधानमंत्री के बयान के बाद ओटावा में शीर्ष भारतीय राजनयिक पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया है। वह 1997 बैच के पंजाब कैडर के आईपीएस अफसर हैं और वर्तमान में कनाडा में भारतीय खुफिया एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) में स्टेशन प्रमुख के रूप तैनात थे।

अब भारत व कनाडा में शीत युद्ध के से हालात पैदा हो चुके हैं। दोनों देशों ने एक—दूसरे के वहां आने—जाने के लिए वीजा प्रतिबंधित कर दिए हैं। व्यापारिक गतिविधियों पर भी रोक लगने जा रही है।

यह भी जानिए —

वर्तमान में कनाडा में 14 से 18 लाख भारतीय मूल के लोग निवासरत हैं। जिसमें सबसे अधिक संख्या ​पंजाब से आए सिखों की है।

खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर तीसरा ऐसा खालिस्तानी नेता था, जिसकी मौत हुई थी। इससे पूर्व जून माह में ब्रिटेन में अवतार सिंह खांडा मरा मिला था। वह खालिस्तान लिबरेशन फोर्स का मुखिया था। उधर लाहौर में भी परमजीत सिंह पंजवार की हत्या हो गई थी। परमजीत को भी भारत सरकार ने आतंकवादी घोषित किया था।

कनाडा में उत्तराखंड, यूपी, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा आदि के भी लोग रहते हैं। जिनके द्वारा हर साल 15 अगस्त व 26 जनवरी को भारत समर्थक रैली निकाली जाती हैं। इस दौरान भी खालिस्तानियों द्वारा उनकी रैली को प्रभावित करने के लिए जमकर अभद्रता की जाती है।

कनाडा के मौजूदा प्रधानमंत्री का विरोध स्वयं कनाडा के नागरिक कर रहे हैं। कनाडा के मूल नागरिकों का भी मानना है कि उनके प्रधानमंत्री खालिस्तानियों के आगे घुटने टेक चुके हैं। जिस कारण भारत के साथ रिश्ते लगातार खराब होते जा रहे हैं।

लेटस्ट जानकारी यह है कि कनाडा में फिर एक गैंगस्टर मारा गया। मृतक का नाम सुखदूल सिंह उर्फ सुक्खा है। जिसकी गोली मारकर हत्या कर दी गई है। वह खालिस्तानी समर्थक अर्शदीप सिंह का करीबी बताया जा रहा है। सुक्खा Sukha Duneke एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में शामिल था। कनाडा से वो भारत विरोधी गतिविधियों का संचालन करता था। साल 2017 में वो भारत छोड़ कनाडा (Canada) चला गया था।

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