बागेश्वर: मानव—वन्य जीव संघर्ष में बढ़ने पर जताई चिंता
✍️ संयुक्त कार्यशाला में जैव विविधता के संरक्षण पर दिया जोर
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: विकासखंड कपकोट के सभागार में उत्तराखंड राज्य विज्ञान एवम् प्रौद्योगिकी परिषद (UCOST) तथा जड़ी बूटी एवं पर्यावरण शोध समिति के संयुक्त तत्वाधान में 'हिमालयी जैव विविधता संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन तथा मानव वन्य जीव संघर्ष' विषयक कार्यशाला आयोजित हुई। जिसका शुभारंभ ब्लॉक प्रमुख गोविंद सिंह दानू ने किया।
मुख्य अतिथि गोविंद सिंह दानू ने कहा कि आधुनिक समय में तेज़ी से हो रहे शहरीकरण और औद्योगीकरण ने वन भूमि को गैर वन क्षेत्र में परिवर्तित कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप वन्यजीवों के आवास क्षेत्र में कमी आ रही है। स्थानीय समुदायों की पूर्ण भागीदारी मानव-पशु संघर्ष को कम करने और मनुष्यों एवं वन्यजीवों के बीच सह-अस्तित्व को बढ़ाने में मदद कर सकती है। मुख्य वक्ता गिरीश बिष्ट ने कहा कि इस क्षेत्र में वृक्ष प्रजातियों की समृद्धि को वार्षिक औसत तापमान और ऊंचाई की चौड़ाई के संयोजन से सबसे अच्छी तरह संरक्षित किया जा सकता है। हिमालय 36 जैव विविधता वाले हॉटस्पॉट में से एक है, जहां लगभग 3,160 दुर्लभ, स्थानिक और संवेदनशील पौधों की किस्में हैं, जिनमें विशेष औषधीय गुण मौजूद हैं। जिसमें वर्तमान में 117 स्थानिक और 88 संकटग्रस्त प्रजातियों की जानकारी प्रदान की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए खंड विकास अधिकारी ख्याली राम ने यू कॉस्ट का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि विकासखंड कपकोट राज्य के अत्यंत सुदूरवर्ती क्षेत्रों में से हैं। संस्था के सचिव सुभाष बिष्ट ने कार्यक्रम को सफल बनाने में समस्त विकासखंड अंतर्गत जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, कर्मचारियों, स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों एवं आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख हरीश मेहरा, विपिन चंद्र उपाध्याय, स्वरूप सिंह चोब्याल, प्रकाश थपलियाल,नंदन सिंह गड़िया, चंद्र प्रकाश एवं स्वयं सहायता समूहों के सदस्यों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम का संचालन सुभाष बिष्ट द्वारा किया गया।