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सोचनीय: आपदा का खतरा माना, 336 परिवार चिह्नित, विस्थापन पर प्रश्नचिह्न

04:55 PM Jul 06, 2024 IST | CNE DESK
सोचनीय  आपदा का खतरा माना  336 परिवार चिह्नित  विस्थापन पर प्रश्नचिह्न
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✍️ कई सरकारें आई—गईं, विस्थापन की बाट जोहते रह गए 25 गावों के ग्रामीण
✍️ बरसात शुरु, बागेश्वर जिले में भूस्खलन—भू कटाव के खतरे से भयभीत ग्रामीण

सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: जिले में मानसून सक्रिय हो गया है। भूस्खलन का खतरा बढ़ गया है। भूस्खलन तथा नदी कटाव से प्रभावित परिवारों की नींद उड़ गई है। जिले में 25 गांवों को भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील घोषित किया गया है। गांवों में रहने वाले 336 परिवारों को विस्थापन के लिए चयनित किया गया है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो सकी है। वर्षा होते ही प्रभावित परिवारों के लोग भयभीत हो जाते हैं। कुछ लोग अपने बच्चों को सुरक्षित स्थानों में ले आते हैं, जबकि गरीब परिवार के लोग गांव में भगवान भरोसे दिनचर्या व्यतीत करते हैं। कई सरकारें आईं—गईं, लेकिन उन्हें अभी तक विस्थापित नहीं किया जा सका है।

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भूकंप तथा भूस्खलन की दृष्टि से जिला जोन पांच में आता है। कपकोट, कांडा, गरुड़ तथा दुगनाकुरी तहसील क्षेत्र के गई गांवों को संवेदनशील श्रेणी में रखा गया है। गांवों में भूस्खलन का सिलसिला फिर से तेज होने लगा है। जिसके कारण लोग भयभीत होने लगे हैं। वर्षा होते ही लोग घरों से बाहर निकल जाते हैं। दरार पड़ी घरों में उन्हें जीवन यापन करना पड़ रहा है। ग्राम प्रधान सेरी राजेंद्र सिंह धामी कहते हैं वर्ष 2002 से गांव संवेदनशील की श्रेाी में है। ग्रामीण कई बार प्रशासन को ज्ञापन दे चुके हैं। जनप्रतिनिधि भी आकर आश्वासन दे गए हैं। लेकिन घाड़ी तथा द्यौरड़ा तोक के 20 परिवारों का विस्थापन अभी होना है। जबकि अभी तक 12 परिवार विस्थापित हो सके हैं। ऐसे ही कई गांवों के लोग विस्थापन की बांट जोह रहे हैं।
से गांवों को विस्थापन की दरकार

कपकोट तहसील के दोबाड़ गांव में 17, बड़ेत में 19, कुंवारी में 76, लीती 13, बघर 13, कर्मी 12, सीरी 06, नौकोड़ी 18, गैरखेत 04, बमसेरा 03, बाछम 22, किलपारा 10, तोली 07, लामाधार 08, गुंठी 08, कालापैर कापड़ी 13, पोथिंग 43, स्यूणीदलाणी 18, मल्लादेश 04, बदियाकोट तोक गरकुटी 07, कांडा तहसील के सेरी 16, गरुड़ तहसील के तल्ला पय्यां 03, जाख 02 तथा दुगनाकुरी के जारती 10 आदि परिवार शामिल है।
शासन स्तर पर फाइल: शिखा सुयाल

बागेश्वर की जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी शिखा सुयाल का इस मामले पर कहना है कि भूस्खलन तथा नदी कटाव के कारण विस्थापन के लिए गांवों का चयन किया गया है। शासन स्तर पर फाइल पहुंच गई है। कुछ विस्थापितों को लाभ मिल गया है। जिला प्रशासन के स्तर पर कोई भी मामला लंबित नहीं है।

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