दिल्ली की हवा हुई जहरीली तो अब उत्तराखंड का रुख कर रहे लोग
📌 हिल स्टेशन आने का बड़ा क्रेज
👉 पहाड़ों में शुरू हुई जमीन नहीं बेचने की मुहिम
CNE DESK/कभी पलायन के चलते पहाड़ के पहाड़ खाली हो गए थे, लेकिन लॉकडाउन के बाद से लोगों की सोच में काफी परिवर्तन आ चुका है। पलायन कर चुके बहुत से उत्तराखंडी दोबारा अपने घर—गांव में खेती या व्यापार कर रहे हैं। वहीं, अब बढ़ते प्रदूषण के चलते जब दिल्ली की हवा जहरीली हो चुकी है, तब एक बार फिर बड़ी संख्या में लोग उत्तराखंड का रुख करने लगे हैं।
उल्लेखनीय है कि दिल्ली में हवा लगातार जहरीली होती जा रही है। प्रदूषण के कारण लोगों को बड़ी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं। सीपीसीबी (केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड) के मुताबिक दिल्ली में शनिवार सुबह 6 बजे औसतन एक्यूआई 419 दर्ज किया गया और जो वायु प्रदूषण की 'गंभीर' श्रेणी में आता है। जिसके बाद लोग उत्तराखंड का रुख कर रहे हैं।
दिल्ली में 'जहरीली हवा' को लेकर सरकार चिंतित दिखाई दे रही है। सरकारी दफ्तरों की छुट्टी या वर्क फ्रॉम होम या 12वीं तक स्कूलों को ऑनलाइन किया गया है। दिल्ली में प्रदूषण लोगों के लिए मुसीबत का सबब बना हुआ है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण से हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंच गई है। जिस कारण लोगों को सांस लेने में काफी दिक्कतें हो रही हैं। इन सब के बीच लोगों ने पहाड़ों की तरफ रुख करना शुरू कर दिया है। हिमालय की खूबसूरत वादियों और साफ सुथरी हवा में सांस लेने के लिए पर्यटक उत्तराखंड के अलग-अलग पर्यटक स्थलों पर पहुंचने लगे हैं। जिससे न केवल पर्यटकों को राहत मिल रही है, बल्कि स्थानीय व्यापारी भी बेहद खुश दिखाई दे रहे हैं।
इधर दिल्ली-एनसीआर की हालत यह है कि कई जगहों पर एक्यूआई लेवल गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। लोगों ने घरों से निकलना बंद कर दिया है, जो लोग घर से बाहर निकल रहे हैं उन्हें लगातार गाइडलाइन दी जा रही है। लोग मुंह पर मास्क लगाकर अपने रोजमर्रा के काम कर रहे हैं।
वहीं, दिल्ली से लगभग 200 किलोमीटर दूर उत्तराखंड के शहर के आसमान नीला दिखाई दे रहे है। दूर तक हिमालय की श्रृंखला साफ देखी जा सकती हैं। मसूरी, नैनीताल, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, ऋषिकेश और उत्तराखंड के तमाम पर्यटक स्थलों पर दिल्ली, हरियाणा, गाजियाबाद, मेरठ तक के पर्यटक पहुंचने लगे हैं। उत्तराखंड का स्वच्छ वातावरण एनसीआर वासियों को खूब भा रहा है। वैसे तो चारधाम यात्रा समाप्त होने के बाद उत्तराखंड में अमूमन पर्यटकों की संख्या 10% भी नहीं रह जाती है। चारधाम यात्रा बंद होने के बाद सीधे नए साल के मौके के लिए व्यापारी होटल व्यवसाय से जुड़े लोग तैयारी में जुट जाते हैं, लेकिन दिल्ली की हवा से दूर पहुंच रहे पर्यटकों ने फिर से पर्यटक स्थलों पर रौनक बढ़ा दी है।
कैंचीधाम में रोज उमड़ रही भीड़
आस्था व पर्यटन के हब के रूप में विकसित हो चुके कैंची धाम में निरंतर यात्रियों की भीड़ उमड़ रही है। दर्शन को पहुंचने वाले एक श्रद्धालु ने बातचीत में बताया कि वह परिवार सहित यहां पहुंचे हैं। जिसका कारण यह है कि वह मंदिर दर्शन के साथ कुछ समय के लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण में वक्त गुजारना चाहते हैं। ऐसे ही विचार दिल्ली से आने वाले अधिकांश श्रद्धालुओं ने व्यक्त किए।
पहाड़ों में ग्रामीण जमीन बेचने से कर रहे इंकार
उत्तराखंड के पर्वतीय जनपदों से वर्षों पूर्व पलायन कर दिल्ली—मुंबई में रह रहे प्रवासियों का कहना है कि उन्हें अब पहाड़ों में जमीन मिलने में कुछ दिक्कतें पेश आने लगी हें। गढ़वाल व कुमाउं मंडल के बहुत से गांव बाहरी लोगों के साथ ही पलायन कर चुके प्रवासियों को जमीन न देने का निर्णय ले चुके हैं। जिसका कारण यह है कि पलायन कर चुके प्रवासी पहाड़ों की जमीन खरीद फिर उसकी दोबारा खरीद—फरोख्त का धंधा करते हैं। जिससे वह जमीन बाहरी राज्यों के लोगों के पास चली जाती है। ग्रामीणों का कहना है कि जिस तरह से निरंतर पर्यावरण परिवर्तन हो रहा है। एक वक्त आयेगा, जब लोग पहाड़ों को वापस दौड़ लगायेंगे। इसलिए आने वाले गंभीर खतरे को देखते हुए पहाड़ में रहने वाले लोगों को अपनी—अपनी जमीन बेचने से परहेज करना चाहिए।