For the best experience, open
https://m.creativenewsexpress.com
on your mobile browser.

हे प्रभु ये क्या...लिखना—पढ़ना आता नहीं, हाईस्कूल में ले आया 99.5% अंक

01:46 PM May 22, 2024 IST | CNE DESK
हे प्रभु ये क्या   लिखना—पढ़ना आता नहीं  हाईस्कूल में ले आया 99 5  अंक
हे प्रभु ये क्या...लिखना—पढ़ना आता नहीं, हाईस्कूल में ले आया 99.5% अंक

📌 कैसे लगा यह शख्स नौकरी पर, जज साहब भी हैरान

हे प्रभु ये क्या हुआ : न्यायालय में जज तब हैरान हो गए, जब उनकी अदालत में कार्यरत एक सफाई कर्मी 'प्रभु' ने अपने हाईस्कूल के मार्क्स की बदौलत चपरासी की नौकरी हासिल कर ली। हैरानी का कारण यह था कि जज साहब इस व्यक्ति को अच्छी तरह जानते थे। उन्हें यह बात मालूम थी कि इस व्यक्ति के लिए तो काला अक्षर भैंस बराबर है। वह एक शब्द भी लिख और पढ़ नहीं सकता है। फिर उसने हाईस्कूल में इतने बढ़िया 99.5% अंक कैसे हासिल कर लिए!

आपको बता दें यह अनोखा मामला कनार्टक के कोप्पल कोर्ट का है। यहां सालों से कार्यरत एक सफाईकर्मी ने चपरासी की नौकरी हासिल कर की। जिसके बाद उसे अच्छे से जानने वाले जज ने उसके प्रमाण पत्रों की जांच के आदेश जारी कर दिए। संदेह जताया कि जो व्यक्ति कोई भी भाषा लिख या पढ़ नहीं सकता, उसने हाईस्कूल में इतने बढ़िया अंक कैसे हासिल कर लिए। जज को महसूस हुआ कि हाईस्कूल की मार्कशीट की बदौलत उसने चपरासी की नौकरी तो हासिल कर ली, लेकिन यह सरासर फर्जीवाड़ा है।

Advertisement

मात्र 23 साल का है प्रभु लक्ष्मीकांत लोकरे 

उल्लेखनीय है कि जिस पर फर्जीवाड़े का आरोप है वह 23 साल का प्रभु लक्ष्मीकांत लोकरे (Prabhu Laxmikant Lokre) है। जो Koppal Court में सफाईकर्मी के रूप में कार्यरत था। इस बीच हाल ही में उसने हाईस्कूल की परीक्षा दी। जिसमें 99.5% अंक प्राप्त करने के बाद कोर्ट में चपरासी के रूप में नियुक्ति पा ली।

इस बीच जज को शक हो गया, क्योंकि प्रभु कन्नड़ भाषा में लिखने और पढ़ने में अक्षम है। इसके बाद कोप्पल में JMFC Judge ने पुलिस को प्रभु की शैक्षिक योग्यता की जांच करने के निर्देश जारी कर दिए। 26 अप्रैल को उसके खिलाफ एक FIR दर्ज की गई।

कक्षा 07 तक ही स्कूल गया, वहां भी कुछ नहीं सीखा

पुलिस ने जब मामले की गहन पड़ताल की तो पहता चला कि प्रभु की मार्कशीट और स्कूली शिक्षा सब संदिग्ध है। जांच में यह साफ हुआ कि प्रभु रायचूर जिले के सिंधनूर तालुक का रहने वाला है। उसने कहने मात्र को केवल 7वीं कक्षा तक पढ़ाई की थी। स्कूल जाने के बावजूद वह कुछ सीख नहीं पाया था। इसके बाद जोड़—जुगाड़ से कोप्पल अदालत में सफाईकर्मी के रूप में काम पर लग गया।

योग्यता चयन सूची में आया नाम, बन गया चपरासी

इस अनपढ़ व्यक्ति प्रभु का नाम चपरासी के पद के लिए 22 अप्रैल, 2024 को जारी अंतिम योग्यता चयन सूची में दर्ज हुआ। पोस्टिंग यादगीर में जिला और सत्र न्यायालय में हो गई। सर्टिफिकेट के अनुसार, उसने sslc exam में 625 में से 623 अंक प्राप्त किए हैं।

कन्नड़, हिंदी, अंग्रेजी कुछ पढ़—लिख नहीं सकता

जज का कहना है कि चपरासी बना यह व्यक्ति कन्नड़, हिंदी और अंग्रेजी भाषा लिख या पढ़ नहीं पाता है। यह सफाईकर्मी से चपरासी बन तो गया, लेकिन इसके पीछे बड़ा फर्जीवाड़ा है। इस तरह की फर्जी डिग्रियों के चलते जरूरतमंदों का हक मारा जाता है। योग्य पीछे रह जाते हैं, अयोग्य की नौकरी लग जाती है।

आरोपी का दावा दिल्ली शिक्षा बोर्ड द्वारा दिया गया है सार्टिफिकेट

वहीं, आरोपी व्यक्ति प्रभु ने फर्जी मार्कशीट की बात को खारिज किया। उसने दावा किया कि 2017-18 में बागलकोट जिले के बनहट्टी में एक संस्थान में एक निजी उम्मीदवार के रूप में उसने कक्षा 10 की परीक्षा दी थी। यह परीक्षा दिल्ली शिक्षा बोर्ड द्वारा आयोजित कराई गई थी। हालांकि पुलिस अग्रिम जांच में जुटी है। प्रभु के सभी दावे झूठे साबित होते जा रहे हैं।

Advertisement


Advertisement
×