बागेश्वर: सीएमएस के खिलाफ उतरे चिकित्सक, सीडीओ से वार्ता के बाद देखे मरीज
✍🏻 मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के विरोध में जिला अस्तपाल के डाक्टर
✍🏻 डीएम के निर्देश पर सीडीओ ने शुरू की प्रकरण की जांच
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: यहां मुख्य चिकित्सा अधीक्षक के खिलाफ चिकित्सकों का विरोध जारी है। सोमवार को विरोध में चिकित्सकों ने ओपीडी का बहिष्कार किया, सिर्फ इमरजेंसी में ही मरीजों का चेकअप हो सका। जिससे सभी मरीजों की भीड़ इमरजेंसी में लग गई। बाद में मुख्य विकास अधिकारी के साथ डॉक्टरों की बैठक हुई। इसके बाद चिकित्सकों ने ओपीडी शुरू की। सीडीओ ने आश्वासन दिया कि जांच होने तक सीएमएस को सीएमओ कार्यालय में अटैच किया जाएगा।
मालूम हो कि सीएमएस के अर्मादित भाषा व व्यवहार समेत कई समस्याओं को लेकर शनिवार को डॉक्टरों ने विरोध किया। तब उन्होंने सोमवार से ओपीडी के बहिष्कार की चेतावनी दी थी। इसके बाद जिलाधिकारी के निर्देश पर मामले में जांच समिति गठित की गई। समिति की जांच रिपोर्ट के बाद ही कार्रवाई होगी। प्रांतीय चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा संघ जिला इकाई के बैनर तले आंदोलित चिकित्सक सोमवार को अस्पताल पहुंचे, लेकिन उन्होंने अपने कक्ष में मरीजों को नहीं देखा। उन्होंने इमरजेंसी में अस्थायी ओपीडी कक्ष बना लिया। एक ही कमरे में सभी डॉक्टर बैठ गए। मरीज अधिक होने के कारण वह अफरा-तफरी का माहौल हो गया। चिकित्सकों का कहना है जांच होने तक सीएमएम सीएमओ कार्यालय अटैच किए जाने की बात जिलाधिकारी से हुई थी, ताकि जांच प्रभावित नहीं होने पाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इसके बाद सीडीओ आरसी तिवारी के साथ आंदोलित डॉक्टरों की दो घंटे तक वार्ता हुई। उनके आश्वासन से संतुष्ट होने के बाद डॉक्टरों ने अपने-अपने कक्षों में बैठकर मरीजों को देखा। दो दिन के भीतर कार्रवाई नहीं हुई तो दोबारा बैठक कर आगे की रणनीति बनाई जाएगी। इसके बाद हालात सामान्य हुए। संघ क अध्यक्ष गिरीजा शंकर जोशी ने कहा कि सीएमएस ने व्यावहार से अस्पताल में काम करना दुभर हो रहा है। इधर सीएमएस डॉ. वीके टम्टा ने कहा कि उन्होंने कोई अभद्रता नहीं की है। उन्होंने अपना पक्ष जांच समिति के सामने रख दिया है।
सीडीओ ने शुरू की जांच
मुख्य विकास अधिकारी आरसी तिवारी ने बताया कि प्रकरण की जांच के आदेश जिलाधिकारी ने दिये हैं और जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने बताया कि बतौर जांच अधिकारी उन्होंने सोमवार को स्वयं दोनों पक्षों से वार्ता की। एक पखवाड़े में निर्णय ले लिये जाने की उम्मीद है। चिकित्सकों से भी अनुरोध है कि जनहित में चिकित्सा सेवा बाधित न करें। दोनों पक्षों को पूरा सुना जाएगा। जांच पूरी होने तक सभी को सहयोग करना चाहिए।