इतिहास के पन्नों में दफ़न हो गई नैनीताल की टिफिन टॉप पर बनी डोरोथी सीट
📌 लैंडस्लाइड से दहल उठा टिफिन टॉप
👉 ब्रिटिशकालीन विरासत का अस्तित्व समाप्त
सीएनई डेस्क। सरोवर नगरी नैनीताल के लोकप्रिय पर्यटन स्थल टिफिन टॉप चोटी पर बनी डोरोथी सीट (Dorothy's Seat) मंगलवार देर रात्रि तेज बारिश के चलते ढह गई। लैंडस्लाइड के बाद यह महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक पर्यटक स्थल इतिहास बन कर रह गया। रात करीब 11 बजे के बाद लोगों ने बहुत तेज आवाज सुनी। जिसके बाद भारी भरकम बोल्डर टिफिन टॉप से नीचे गिरने लगे।
रेस्टोरेंट वाली युवती ने सबसे पहले दी सूचना
बता दें कि डोरोथी सीट के समीप रेस्टोरेंट है। डोरोथी सीट के ढह जाने की सूचना सबसे पहले उसी रेस्टोरेंट से एक युवती ने दी। उसने बताया कि देर रात बारिश के बीच ही अचानक बहुत तेज़ आवाज़ आई। बाहर जाकर देखा तो डोरोथी सीट (Dorothy's Seat) खाई में समा चुकी थी।
जिसके बाद सभी को डर लगने लगा। युवती ने बताया कि उनका रेस्टोरेंट सुरक्षित है। इस घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन मुस्तैद हो गया और तुरंत एसडीएम, डीडीएमओ और एसडीआरएफ की टीम मौके पर पहुंची,मौके पर पहुंचे एसडीएम प्रमोद कुमार ने बताया कि क्षेत्र के सभी लोग सुरक्षित है।
जानिए डोरोथी सीट के बारे में
सरोवर नगरी नैनीताल के प्रसिद्ध पर्यटक स्थलों में टिफिन टॉप को लोग बेहद पसंद करते है। ये जगह समुद्र तल से लगभग 7500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है।
टिफिन टॉप में डोरोथी सीट का निर्माण ब्रिटिश सेना के अधिकारी कर्नल केलेट ने अपनी कलाकार पत्नी डोरोथी केलेट की याद में किया था। डोरोथी का इंग्लैंड जाते समय जहाज पर सेप्टिसीमिया से निधन हो गया था।
डोरोथी अक्सर इस स्थान पर बैठ कर पेंटिंग बनाया करती थी।प्रकृति की सुंदरता को निहारने के लिए पर्यटकों के लिए बनाई गई डोरोथी सीट महज एक Seorang Triprocamere बोल्डर पर टिकी हुई थी। पिछले तीन चार सालों से टिफिन टॉप में स्थित डोरोथी सीट के अस्तित्व पर बड़ा खतरा मंडरा रहा था। लापरवाही और उदासीनता के चलते यहां साल दर साल दरारें बढ़ती गई। इसको लेकर तमाम मीडिया ने समाचार प्रकाशित किए। साथ ही प्रशासन को चेताया भी कि इन दरारों की वजह से डोरोथी सीट कभी भी नीचे खाई में समा सकती है।
नैनीताल के कई जनप्रतिनिधियों और स्थानीय लोगों ने भी जिला प्रशासन को मामले को लेकर ज्ञापन दिया था। जिला प्रशासन ने स्थाई ट्रीटमेंट की बात की जिस पर अमलीजामा अब तक नही पहनाया गया। जिसका परिणाय यह रहा कि गत रात्रि यह ऐतिहासिक डोरोथी सीट इतिहास के पन्नो में दफन हो गई।