For the best experience, open
https://m.creativenewsexpress.com
on your mobile browser.
Advertisement

हर निजी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकती सरकारें : सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

12:01 PM Nov 05, 2024 IST | CNE DESK
हर निजी संपत्ति पर कब्जा नहीं कर सकती सरकारें   सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
Supreme Court
Advertisement

नई दिल्ली | क्या सरकार आम लोगों की भलाई के लिए निजी संपत्ति का अधिग्रहण कर सकती है? इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने मंगलवार को बहुमत से फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हर निजी संपत्ति को सामुदायिक संपत्ति नहीं कह सकते। कुछ खास संसाधनों को ही सरकार सामुदायिक संसाधन मानकर इनका इस्तेमाल सार्वजनिक हित में कर सकती है।

Advertisement

CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता में 9 जजों की बेंच में से 7 जजों ने इस फैसले का समर्थन किया। सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस कृष्ण अय्यर के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को राज्य द्वारा अधिग्रहित किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि पुराना फैसला विशेष आर्थिक, समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हालांकि, राज्य सरकारें उन संसाधनों पर दावा कर सकती हैं जो भौतिक हैं और सार्वजनिक भलाई के लिए समुदाय द्वारा रखे जाते हैं।

Advertisement

फैसले पर सुप्रीम कोर्ट के 4 तर्क

1- 1960 और 70 के दशक में समाजवादी अर्थव्यवस्था की ओर झुकाव था, लेकिन 1990 के दशक से बाजार उन्मुख अर्थव्यवस्था की ओर ध्यान केंद्रित किया गया।
2- भारत की अर्थव्यवस्था की दिशा किसी विशेष प्रकार की अर्थव्यवस्था से अलग है। बल्कि इसका उद्देश्य विकासशील देश की उभरती चुनौतियों का सामना करना है।
3- पिछले 30 सालों में गतिशील आर्थिक नीति अपनाने से भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बन गया है।
4- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह जस्टिस अय्यर के इस फिलॉसफी से सहमत नहीं हैं कि निजी व्यक्तियों की संपत्ति सहित हर संपत्ति को सामुदायिक संसाधन कहा जा सकता है।

16 याचिकाओं पर हुई सुनवाई

बेंच 16 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 1992 में मुंबई स्थित प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन (POA) द्वारा दायर मुख्य याचिका भी शामिल है। POA ने महाराष्ट्र हाउसिंग एंड एरिया डिवेलपमेंट एक्ट (MHADA) अधिनियम के अध्याय VIII-ए का विरोध किया है। 1986 में जोड़ा गया यह अध्याय राज्य सरकार को जीर्ण-शीर्ण इमारतों और उसकी जमीन को अधिग्रहित करने का अधिकार देता है, बशर्ते उसके 70% मालिक ऐसा अनुरोध करें। इस संशोधन को प्रॉपर्टी ओनर्स एसोसिएशन की ओर से चुनौती दी गई है।

बेंच में 9 जज शामिल

बेंच में CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जे बी पारदीवाला, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह शामिल हैं। बेंच ने 6 महीने पहले अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी और तुषार मेहता सहित कई वकीलों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Advertisement


Advertisement
×