EducationHealthCovid-19Job Alert
Uttarakhand | Tehri GarhwalRudraprayagPithoragarhPauri GarhwalHaridwarChampawatChamoliUdham Singh NagarUttarkashi
AccidentCrimeUttar PradeshHome

Hazratganj : अवध की शान है लखनऊ का हजरतगंज ! जरूर करें दीदार

06:04 PM Jan 17, 2024 IST | CNE DESK
लखनऊ का हजरतगंज
Advertisement

CNE DESK/लखनऊ शहर का दिल माना जाने वाला हजरतगंज अपनी खूबसूरती के लिए जाना जाता है। यहां कई सारे सरकारी कार्यालय, शो रूम हैं। खाने—पीने के खौ​कीनों के लिए यहां कई प्रसिद्ध रेस्टोरॉन्ट भी हैं। शॉपिंग करने वालों के लिए भी यह जन्नत है।

Advertisement

हज़रतगंज़ में लखनऊ की प्रसिद्ध चिकनकारी के कपड़ों से लेकर हर तरह के ब्रेंडेड कपड़े भी मिलते हैं। लेकिन, क्या आपको पता है कि जिस हजरतगंज को देखने आज देश—विदेश से सैलानी आते हैं, वहां कभी भारतीयों की एंट्री पर सख्त रोक थी।

Advertisement

हज़रतगंज का ​संक्षिप्त इतिहास

इतिहासकारों के अनुसार 1810 में लखनऊ में नवाब सआदत अली खान ने एक लंबी सी सड़क बनवाई थी, जो कि दिलकुशा कोठी से लेकर रेजीडेंसी तक जाती थी। इसके अलावा उन्होंने हजरतगंज में कुछ दुकानें और अंग्रेजों के रहने के लिए कमरे भी बनवाए थे। उसी दौर से हजरतगंज एक बाजार के रूप में विकसित होने लगा था। हालांकि जब अवध की गद्दी पर नवाब अमजद अली शाह 1847 से लेकर 1856 के बीच बैठे, तो उनके वक्त हजरतगंज का बहुत तेजी से विकास हुआ था। कहा जाता है कि नवाब अमजद अली शाह को लोग प्यार से हजरत बुलाते थे। यही कारण है इस बाजार को हजरतगंज कहलाया जाने लगा। हालांकि बहुत पूर्व इसे मुनव्वर बख्श नाम से भी जाना जाता रहा।

लखनऊ का हजरतगंज

अंग्रेजों का कब्जा

ब्रिटिश शासकों ने साल 1857 में 'लखनऊ की घेराबंदी' कर ली थी। जिसके बाद अंग्रेजों ने शहर पर पूरी तरह कब्जा कर लिया। जिसके बाद हजरतगंज को लखनऊ के निवासियों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गई। तब यह क्षेत्र अंग्रेजों के मनोरंजन के लिए था। तब हजरतगंज में अंग्रेज औरतें अपनी बेहतरीन गाड़ियों में घूमने के लिए आती थीं। अंग्रेज यहां शाम बिताना बहुत पसंद करते थे। कहा जाता है कि ब्रिटिश शासनकाल में कई उत्कृष्ट मुगल कालीन चीजें नष्ट हो गई थी। आज़ादी के बाद लखनऊ का हजरतगंज पुन: भारतीयों के पास आ गया। अब यहां आप मुगल और ब्रिटिशकालीन विरासतों का दीदार कर सकते हैं।

Advertisement

अमजद अली शाह का मकबरा

बताना चाहेंगे कि अमजद अली शाह का मकबरा भी हजरतगंज में ही बना है। इस मकबरे को 1847 से लेकर 1856 के बीच में उनके बेटे और अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह ने बनवाया था। जब 17 फरवरी 1847 को अमजद अली शाह का इंतकाल हो गया था तब इनके बेटे वाजिद अली शाह ने उनको इसी मकबरे में दफनाया था।

बहुत आकर्षक है वर्तमान हज़रतगंज़

आज की तारीख में हज़रतगंज़ एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में विकसित हेा चुका है। यहां पर आप कई बड़े ब्रांड के शोरूम पायेंगे। वहीं, लोकल मार्केट भी । सिनेमा हॉल, बड़े रेस्टोरेंट के साथ ही स्ट्रीट फूड भी उपलब्ध है। बैठने के लिए बेंच लगी हैं, जहां बैठकर लोग इसकी खूबसूरती को निहार सकते हैं।

Advertisement

खास मौकों पर यहां होता है जश्न

वैसे हजरतगंज की असली खूबसूरती सिर्फ रात के समय ही देखी जा सकती है। जब तमाम स्ट्रीट लाइटें जल उठती हैं। तब यहां का नजारा बहुत खूबसूरत लगता है। क्रिसमस, न्यू इयर, 26 जनवरी और 15 अगस्त सभी त्योहारों को यहां मनाया जाता है। वास्तव में लखनऊ का हजरतगंज अवध की शान है।

Related News