ईश्वर साहू: 07 बार विधायक रहे चौबे को पहली बार चुनाव लड़े 'मजदूर' ने हराया
पढ़िए, मजदूर ईश्वर साहू की चुनावी समर में उतरने की पूरी कहानी
CNE DESK/छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद इन दिनों साजा विधानसभा सीट पर खासी चर्चा हो रही है। जिसका मुख्य कारण यह है कि यहां पहली बार चुनाव लड़े एक भाजपा प्रत्याशी ईश्वर साहू ने कांग्रेस के बड़े दिग्गज नेता रविंद्र चौबे को चुनावी समर में गजब की पटखनी दे दी है। कांग्रेस के यह दिग्गज नेता पूरे 07 बार विधायक रहे हैं। उन्हें यकीन ही नहीं हो रहा कि एक ऐसे व्यक्ति से वह हार गए, जो पेशे से मजदूर है और जिसकी राजनैतिक समझ शून्य है।
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव का गत दिवस रिजल्ट घोषित हो चुका है। यहां भाजपा ने कुल 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा ने 54 पर कब्जा कर लिया है। प्रमुख विपक्षी कांग्रेस महज 35 में सिमट कर रह गई।
खास बात यह है कि इस चुनाव में सूबे के डिप्टी सीएम टीएस सिंह देव सहित कांग्रेस के नौ मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा है। कुछ सीटों पर तो आश्चर्यजनक परिणाम सामने आये हैं। ऐसी ही सीटों में शामिल है — बेमेतरा जिले की साजा विधानसभा सीट।
बता दें कि यहां कांग्रेस के शीर्ष नेता और 7 बार के विधायक रह चुके रविंद्र चौबे को पहली बार चुनाव लड़े एक मजदूर ईश्वर साहू (Ishwar Sahu) ने धूल चटा दी। भाजपा के प्रत्याशी ईश्वर साहू ने 5 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस के रविंद्र चौबे को हराया है। चौबे को 96, 593 वोट मिले। वहीं ईश्वर साहू को 1,071,89 मत प्राप्त हुए हैं।
जानिए, कौन हैं ईश्वर साहू
दरअसल, हाल में बेमेतरा के साजा विधानसभा क्षेत्र के बिरनपुर इलाके में सांप्रदायिक दंगे भड़के थे। इस दौरान 3 लोगों की मौत भी हुई थी। दंगों में जान गंवाने वालों में से एक ईश्वर साहू के बेटे भुवनेश्वर भी थे। घटना के बाद ईश्वर साहू के परिवार को 10 लाख रुपये का मुआवजा और सरकारी नौकरी देने का ऐलान सीएम ने किया, लेकिन ईश्वर साहू ने इस प्रस्ताव को भी ठुकरा दिया।
गृहमंत्री अमित शाह ने बनाया धर्मयुद्ध का प्रतीक
इस दौरान गृहमंत्री अमित साह ने ईश्वर साहू के बेटे की मौत पर टिप्पणी की। उन्होंने इसे न्याय की लड़ाई 'धर्मयुद्ध' का प्रतीक बताया। चुनाव प्रचार के दौरान गृहमंत्री ने कहा था कि ईश्वर साहू सिर्फ एक उम्मीदवार नहीं, बल्कि न्याय की लड़ाई का प्रतीक हैं। अगर भाजपा सत्ता में वापस आती है तो उनके बेटे के हत्यारे को जेल भेजेंगे। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि साजा सीट पर यह मुद्दा छा गया। इसका लाभ भाजपा को मिला और इससे ईश्वर साहू की प्रचंड जीत हुई।
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