Parliament Security Breach: एक सुनियोजित साजिश थी संसद में घुसपैठ !
संसद पर आतंकी हमले की 22वीं बरसी का दिन क्यों चुना
CNE DESK/13 दिसंबर की दोपहर संसद पर चार युवाओं ने घुसपैठ की थी। सभी आज पुलिस हिरासत में हैं। पूछताछ में रोज नए—नए खुलासे हो रहे हैं, लेकिन तस्वीर का एक अन्य पहलू भी है। जो मौजूदा राजनीति पर सवाल खड़े करता है।
Parliament Security Breach: युवाओं की घुसपैठ के तुरंत बाद कुछ नेताओं ने ऐसा माहौल पैदा करने का प्रयास किया कि संसद में घुसने वाले किसी विशेष संगठन से हैं। जिसका मुख्य कारण यह रहा कि शुंरुआती जांच में पता चला कि सागर शर्मा नाम का युवक मैसूर से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के Pass पर आया था। हालांकि जैसे ही यह थ्योरी गलत साबित हुई तो नेताओं व उनके कार्यकर्ताओं के सुर ही बदल गए। कई शीर्ष नेता यह बोलने लगे कि यह लोग नौजवान हैं, छात्र हैं अतएव इनको छोड़ देना चाहिए और मामले को तूल नहीं देना चाहिए। इसके बावजूद पुलिस प्रशासन ने सख्त रुख अपनाते हुए पूछताछ जारी रखी। अब जब कई राज खुलने लगे हैं तो विपक्ष के विरोध के स्वर युवाओं से हटकर संसद की सुरक्षा में चूक पर केंद्रित हो गए हैं।
मास्टर माइंड ललित झा पुलिस गिरफ्त में खुले यह राज
लेटस्ट रिपोर्ट यह है कि संसद की सुरक्षा में सेंध लगाने वालों में 04 नहीं, बल्कि 05 लोग थे। जिनमें सागर, मनोरंजन, नीलम, अमोल शिंदे और पांचवा ललित झा शामिल था। पहले चार नामों का तुरंत खुलासा हो गया था, लेकिन मुख्य सूत्रधार ललित का पता बाद में चला। हुआ यूं था कि जैसे ही हंगामा शुरू हुआ ललित झा चुपचाप वहां से खिसक लिया था। यह बात भी पता चली कि ललित ने ही नीलम और अमोल शिंदे की संसद के बाहर वीडियो क्लिप बनाई और फिर उसे सोशल मीडिया में अपलोड भी कर दिया।
साजिशकर्ता ललित झा से पूछताछ में हुए खुलासे
पूछताछ के दौरान ललित Conspirator Lalit Jha ने स्वीकार किया कि उसके पास ही इन चारों के फोन थे। जिसे उसने बाद में पकड़े जाने के डर से जला दिया था। यह भी बताया कि राजस्थान के कुचामन भागने के बाद उसने सबूत मिटाने की कोशिश भी की थी। यहां तक कि उसने अपने चारों साथियों के मोबाइल फोन जला दिये थे। ज्ञात रहे कि घटना से पूर्व चारों ने अपने मोबाइल फोन ललित को दे सौंप दिए थे। ताकि अहम सबूत पुलिस के हाथ न लग पायें। सभी को पता था कि उनकी गिरफ्तारी जरूर हो जायेगी।
अपने साथियों का वीडियो बना रहा था
कड़ी पूछताछ में ललित ने बताया कि कुचामन में वह महेश से मिला था। नाइट स्टे के लिए उसने कमरा भी उपलब्ध कराया था। महेश से उसकी मुलाकात फेसबुक के जरिए हुई थी। जब संसद में हंगामा हुआ तो वह भी मौके पर मौजूद था और बाहर से दर्शक दीर्घा में गए अपने साथियों का वीडियो बना रहा था।
फिलहाल पुलिस हिरासत में रहेंगे आरोपी
उल्लेखनीय है कि दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों आरोपियों को संसद सुरक्षा उल्लंघन मामले में सात दिन की हिरासत में भेजा है। Additional Sessions Judge Dr Hardeep Kaur ने सभी चार आरोपियों Manoranjan D, Sagar Sharma, Amol Dhanraj Shinde and Neelam Devi के मकसद के उद्देश्य का पता लगाने की अनुमति दी है।
सुनियोजित षड़यंत्र थी घुसपैठ
पुलिस के अधिवक्ता ने जो रिपोर्ट पेश की है उसमें इस घटना को एक सुनियोजित साजिश बताया है। बताया कि आरोपियों के पास एक पैम्फलेट भी था। जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लापता बनाने के साथ ही गलत टिप्पणी भी की थी।
आरोपियों ने संसद घुसपैठ की काफी पूर्व से की थी तैयारी
यह भी पता चला है कि इन आरोपियों ने संसद में घुसपैठ की काफी समय पूर्व से ही तैयारी की थी। सागर और मनोरंजन डी कार्यवाही के दौरान संसद में घुसे। वहीं, नीलम और अमोल शिंदे बाहर स्मोक बम चला प्रदर्शन करने लगे।
आरोपी सागर की डायरी ने भी खोले राज
इस बीच पुलिस के हाथ संसद की कार्रवाई के बीच हंगामा करने वाले सागर की डायरी लग गई है। जिसकें उसने लिखा है कि ''अब घर से विदा होने का समय आ गया है। एक तरफ डर भी है और दूसरी तरफ कुछ कर गुजरने की आग भी दहक रही है।''
पांच साजिशकर्ताओं की मानसिकता पर सवाल
सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि इन पांच घुसपैठी युवाओं की मानसिकता क्या है। यह लोग जय भीम के नारे लगा दलित राजनीति करते हैं। तानाशाही नहीं चलेगी बोल सत्ता का विरोध करते हैं और भारत माता की जय बोल हिंदूवादियों की नकल करते हैं। अहम बात तो यह है कि 13 दिसंबर को संसद में हुए आतंकी हमले की 22वीं वर्षगांठ को यह युवा मना रहे थे। जिससे प्रथम दृष्टया पुलिस मान रही है कि इनकी मानसिकता भी पूरी तरह देश विरोधी है। आतंकी हमले की बरसी को वही मनायेगा, जो इस हमले को जायज मानता हो।
प्लान 'ए' के बाद प्लान 'बी' भी था तैयार
मुख्य साजिशकर्ता ललित झा ने पुलिस को बताया कि वह टीवी पर लगातार घटना के सारे अपडेट देख रहा था। प्लान ए के तहत संसद भवन में प्रवेश के लिए मनोरंजन डी और सागर शर्मा के नाम से पास बनवाये गये थे। जबकि अमोल और नीलम को ट्रांसपोर्ट भवन की ओर कलर स्मोक जलाते हुए गुजरना था। इस प्लान के फेल होने पर प्लान बी के तहत कार्रवाई होनी थी। प्लान बी के अनुसार यदि अमोल और नीलम संसद के करीब नहीं पहुंच पाते तो उनकी जगह महेश और कैलाश दूसरी तरफ से संसद भवन के करीब पहुंच जाते। फिर मीडिया के आगे रंगीन धुंआ छोड़ते हुए नारेबाजी करते। हालांकि 12 दिसंबर की रात यानी घटना से एक दिन पहले महेश और कैलाश गुरुग्राम में विक्की नामक दोस्त के घर नहीं पहुंचे। इसलिए पूरा काम अमोल और नीलम को करना पड़ा।
ललित ने पहले से तैयार किया था भागने का प्लान
ललित झा को मालूम था कि घटना के बाद उसके पीछे भी पुलिस होगी। अतएव उसने छिपने का पुख्ता इंतजाम किया था। तय हुआ था कि वह जब दिल्ली से भागेगा तो राजस्थान में महेश उसको छुपाने में मदद करेगा। याद दिला दें कैलाश और महेश मौसेरे भाई हैं। महेश ने अपनी आईडी से ही ललित को एक जगह कमरा भी उपलब्ध करवाया था।