प्रतिभागी सीखेंगे समूह समन्वय और कौशल विकास के गुर : प्रो. भीमा मनराल
एसएसजे विश्वविद्यालय में पांच दिवसीय सामुदायिक कार्यशाला का शुभारंभ
एम.एड. व बी.एड. के प्रशिक्षणार्थी शामिल
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय में पांच दिवसीय सामुदायिक कार्यशाला का शुभारंभ हो गया है। इस अवसर पर विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल ने कार्यक्रम के उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। बताया कि एम.एड. व बी.एड. प्रशिक्षणार्थियों की इस कार्यशाला में समूह समन्वय, कौशल विकास पर मुख्य कार्य होगा।
उल्लेखनीय है कि शिक्षा संकाय की इस सामुदायिक कार्यशाला का आयोजन एम.एड. व बी.एड. तृतीय सत्रांश के प्रशिक्षणार्थियों हेतु किया जा रहा है। साथ ही बी.एड. प्रथम सतांश के प्रशिक्षणार्थियों के लिए 'आनंदम्-आनंदपूर्ण अधिगम' विषय के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
प्रथम दिवस के कार्यक्रमों का आरंभ विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल के संबोधन से हुआ। विभागाध्यक्ष ने कार्यक्रम के उद्देश्यों को स्पष्ट कराते हुए बताया कि इस कार्यशाला से विद्यार्थियों में समूह समन्वय, कौशलों का विकास होगा। साथ ही सामाजिक जागरूकता बढ़ेगी। कहा कि सामुदायिक कार्यशाला शिक्षा के सैद्धांतिक व प्रयोगात्मक पहलुओं के साथ-साथ सामाजिक महत्व पर भी बल देती है। सामुदायिक कार्यशाला में सीखी गई बातों व कार्यों का उपयोग प्रशिक्षणार्थी निजी जीवन व सामाजिक उत्थान में कर सकते हैं।
कार्यशाला के प्रथम दिवस में बी.एड. तृतीय सत्रांश के छात्रों को सात समूहों में, एम.एड. तृतीय व बी.एड. प्रथम सत्रांश के प्रशिक्षणार्थियों को भी सात-सात समूहों में बांटा गया एवं प्रत्येक समूह का निरीक्षण कार्य विभाग के प्राध्यापकों को सौंपा गया।
प्रथम दिवस चला स्वच्छता अभियान
प्रथम दिवस में सभी प्रशिक्षणार्थियों द्वारा विभाग के प्रांगण में स्वच्छता अभियान चलाया गया। कक्षा-कक्षों, मुख्य सभागार व विभाग के परिवेश में सफ़ाई की गई। तदोपरांत विभाग के वरिष्ठ प्राध्यापकों द्वारा समस्त प्रशिक्षणार्थियों को 'जीवन में स्वच्छता, संस्कार में स्वच्छता' विषय पर अहम व्याख्यान दिया गया। बी.एड. तृतीय सत्रांश के प्रशिक्षणार्थी प्राची बोरा, पीयूष परिहार, नवीन चन्द्र, आंचल त्रिपाठी, दीक्षा काण्डपाल, शालिनी तिवारी, प्राची किरौला, संगीता मेहता व बी. एड. प्रथम सत्रांश के प्रशिक्षणार्थी कविता बिष्ट, पूजा जोशी, नमिता राणा, रिया जोशी का एक विशेष समूह बनाया गया। जिनके द्वारा अल्पना कार्य व विभाग के पटलों पर चित्रकला का निर्माण किया गया।
द्वितीय सत्र में लोक—कला व संस्कृति का परिचय
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में प्रशिक्षणार्थियों को लोक-कला व लोक संस्कृति का परिचय देने व 'विलुप्त होती लोक संस्कृति' पर व्याख्यान देने हेतु 'सुष्मा स्वराज पुरुस्कार' प्राप्त लोक गायिका व सामाजिक कार्यकर्ता लता पाण्डे बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहीं। मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल ने पुष्पगुच्छ व स्मृति चिन्ह भेंट व सहायक प्राध्यापक डॉ. नीलम ने बैज अलंकृत कर मुख्य अतिथि महोदया का स्वागत किया। मुख्य अतिथि ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को कुमाऊनी संस्कृति, पहनावा, आभूषणों, भाषा के संदर्भ में जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कुमाऊनी खड़ी व बैठकी होली, लोक-गायन, लोक-नृत्य जैसे विषयों पर प्रकाश डाला व विलुप्त होती लोक संस्कृति को बचाने व अपनी धरोहर पर गर्व करने की बात प्रशिक्षणार्थी जनों को बताई। नथ, मांगरीका, गलोबंद, पौंची आदि आभूषण प्रदर्शित करते हुए मुख्य अतिथि ने संकाय के समस्त प्रशिक्षणार्थियों में अमूल्य धरोहर को हस्तांतरित किया।
कार्यक्रम का संचालन प्रो. रिजवाना सिद्दीकी व ललिता रावल के द्वारा किया गया। कार्यशाला के प्रथम दिवस में विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल, प्रो. रिजवाना सिद्दीकी, डॉ. नीलम डॉ. देवेन्द्र चम्याल, डॉ. संदीप पाण्डे, मनोज आर्या, मनोज कार्की, डॉ. ममता काण्डपाल, डॉ. पूजा, अंकिता, ललिता रावल, विनीता लाल, सरोज जोशी, एम.एड. व बी. एड. के समस्त प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।