शिक्षक—शिक्षा अभियान के तहत डायट में 05 दिन चला प्रशिक्षण
शिक्षकों का अपने विषय में पारंगत होना जरुरी: गोपाल गैड़ा
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: यहां जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में शिक्षक शिक्षा के तहत 05 दिवसीय प्रधानाध्यापकों का आधारभूत प्रशिक्षण संपन्न हो गया। जिसमें प्रधानाध्यापकों को शिक्षा के अधिकार अधिनियम, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को ध्यान में रखते हुए विद्यालय नियोजन एवं प्रबंधन का पाठ पढ़ाया गया। 25 प्रधानाध्यापकों के प्रशिक्षण के समापन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डायट प्राचार्य गोपाल सिंह गैड़ा ने कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम व राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की परिपेक्ष्य में शिक्षकों को विद्यालय नियोजन एवं प्रबंधन के साथ ही अपने विषय में पारंगत होने की आवश्यकता है। श्री गैड़ा ने कहा कि शिक्षकों को विद्यालय अभिलेख तथा छात्रों के अधिगम संप्राति स्तर का अभिलेखीकरण कर सतत मूल्यांकन किया जाना चाहिए।
इस प्रशिक्षण में डायट प्रवक्ता डॉ. कमलेश सिंह सिराड़ी ने कहा कि शिक्षा अधिकार अधिनियम के अंतर्गत शिक्षकों का उत्तरदायित्व निर्धारित किया गया है। शिक्षकों को अपने कार्य संपादन में सरलता वह सुगमता के लिए विद्यालय प्रबंधन एवं नियोजन की जानकारी होना आवश्यक है। प्रधानाध्यापकों को अपने समस्त भौतिक व एकेडमिक अभिलेखों को अपडेट रखने चाहिए। कार्यक्रम के समन्वयक महेंद्र सिंह भंडारी ने कहा कि शिक्षकों को प्रार्थना सभा में आयोजित होने वाली विभिन्न गतिविधियों को यथा समय संपादित किया जाना चाहिए। श्री भंडारी ने कहा कि शिक्षकों को विद्यालय स्तर पर अपने अभिलेखों को यथासमय सुव्यवस्थित व सुसज्जित रखना चाहिए। कार्यक्रम के सह समन्वयक हरिवंश बिष्ट ने कहा कि शिक्षकों को भौतिक व अकादमिक पक्ष की विस्तृत जानकारी होनी भी जरुरी है और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए समाजोपयोगी व नवाचारी कार्यक्रम की भी साझेदारी की जानी चाहिए। इस मौके पर रमेश सिंह रावत ने समग्र शिक्षा अभियान के अंतर्गत विभिन्न कार्यक्रमों व योजनाओं की जानकारी व उनके अभिलेखों और दैनंदनी में नियमित अंकना करने की जानकारी दी। प्रशिक्षण में विद्यालय प्रशासन से संबंधित विभिन्न बिन्दुओं पर चर्चा परिचर्चा की गई। इस अवसर पर डायट के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी गोविंद सिंह रावत, डॉ. कमलेश सिराड़ी, डाॅ. दीपा जलाल, डॉ. महेंद्र सिंह भंडारी, डॉ. प्रकाश पंत, डॉ. हेमलता औधामी, उमेश चंद्र मिश्रा आदि उपस्थित थे। प्रशिक्षण का संचालन महेन्द्र सिंह भण्डारी व डॉ. हरिवंश बिष्ट ने संयुक्त रुप से किया।