Big News : जिसे कुलदेवता समझ पूजते रहे, वह निकला डायनासोर का अंडा
Dinosaur's egg : मध्य प्रदेश के धार जनपद से एक ऐसा मामला प्रकाश में आया है, जिसने तमाम लोगों को हैरत में डाल दिया है। यहां वर्षों से लोग एक अंडानुमा आकृति की पूजा करते आ रहे थे। दावा किया जा रहा था कि आकृति उनके कुलदेवता की है, जिसे वह कक्कड़ भैरव के नाम से संबोधित करते थे। इस बीच जब वैज्ञानिकों की टीम ने इस आकृति की जांच की तो पता चला कि यह गोलाकार आकृति किसी के कुलदेवता नहीं, बल्कि सदियों पूर्व लुप्त हो चुके डायनासोर के अंडे हैं।
CNE DESK/मध्य प्रदेश के धार जिले में कक्कड़ भैरव को पूजने की प्रथा है। लोगों का विश्वास है कि उनके कुलदेवता फसल व पालतू मवेशियों की रक्षा करते हैं। यहां एक गांव में वेस्ता मंडलोई को खुदाई के दौरान एक गोलाकार पत्थर की आकृति मिली थी। जिसे उन्होंने अपना कुलदेवता मान लिया।
इसके बाद कुलदेवता कक्कड़ भैरव की यहां पूजा भी शुररू हो गई। यह मामला वेस्ता गांव का है। हालांकि इसी तरह अन्य गांवों झाबा, अखाड़ा, जामन्यापुरा और ताकारी में भी ग्रामीण ऐसे ही पत्थरों को पूजते रहे। यह सभी पत्थर उन्हें खुदाई के दौरान मिले थे। रिपोर्ट्स के अनुसार धार जिले में अब तक 120 किलोमीटर के क्षेत्र में करीब 256 डायनासोर के अंडे मिल चुके हैं।
इस तरह पहुंची लखनऊ की टीम
दरअसल, इस गोल पत्थरनुमा आकृति की पूजा की चर्चा सोशल मीडिया में होने लगी। जिससे तमाम लोगों का ध्यान इन गांवों की ओर गया। फिर कुछ समय बार Birbal Sahni Institute of Palaeosciences (BSIP) लखनऊ के विशेषज्ञ और मध्य प्रदेश वन विभाग के अधिकारी यहां पहुंचे। टीम के सदस्यों ने इस आकृति का विश्लेषण शुरू किया तो उन्हें काफी हैरानी हुई। जांच में पता चला कि यह ग्रामीणों के कुलदेवता नहीं, डायनासोर की टिटानो-सारस प्रजाति के जीवाश्म के अंडे हैं। अब विशेषज्ञों ने अभियान चलाकर लोगों को इस सच्चाई के बारे में बताना प्रारम्भ कर दिया।
निदेशक एमपी ठक्कर ने कही यह बात
बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (BSIP) लखनऊ के निदेशक एमजी ठक्कर के अनुसार उनके नेतृत्व में पैलियो वैज्ञानिकों की टीम ने इलाके का दौरा किया है। बाघ नगर के Dino Fossil National Park में रखे गए सभी healthy fossils के संरक्षण और संवर्द्धन का रोडमैप तैयार किया गया है।
धार जिले के 120 किमी क्षेत्र में मिले 256 अंडे
आज की तारीख तक धार जिले में 120 किलोमीटर के क्षेत्र में लगभग 256 डायनासोर के अंडे मिल चुके हैं। Paleontology expert Vishal Verma व बीएसआईपी के निदेशक एमजी ठक्कर ने कहा कि इस साल लगभग 20 नए डिनो घोंसलों की खोज की गई। वरिष्ठ वैज्ञानिक शिल्पा पांडेय ने भी स्थानीय नागरिकों को काफी समझाया कि यह 'कुलदेवता' दरअसल डायनोसोर (Dinosaur) का अंडा है।
अंडो को कर रखा था डेकोरेट
स्थानीय लोगों ने इन अंडों को काफी डेकोरेट कर रखा था। इन पर इंसानी आकृतियां भी बनाई गई थी। सीपीजीजी की संयोजक शिल्पा ने बताया कि इन्हें काकर भैरव के रूप में पूजा जा रहा था। 'काकर' का अर्थ भूमि या खेत है तथा 'भैरव' भगवान का स्वरूप हैं।
राष्ट्रीय विरासत हैं यह जीवाश्म
इधर शासन—प्रशास का कहना है कि यहां मिले जीवाश्म राष्ट्रीय विरासत हैं। इनका संरक्षण करना सभी का कर्तव्य है।