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कांग्रेस के सिपाही से हार गईं स्मृति ईरानी, अमेठी में कैसे काम कर गई कांग्रेस की रणनीति

05:26 PM Jun 04, 2024 IST | CNE DESK
कांग्रेस के सिपाही से हार गईं स्मृति ईरानी  अमेठी में कैसे काम कर गई कांग्रेस की रणनीति
स्मृति ईरानी
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Amethi Lok Sabha Seat | लोकसभा चुनाव के नतीजों ने सबको चौंका दिया है। 400 पार का नारा देने वाली बीजेपी बहुमत के आंकड़े को भी पार नहीं कर सकी है। हालांकि, INDIA जरूर 290 के पार पहुंचता दिख रहा है। बीजेपी को सबसे बड़ा झटका उत्तर प्रदेश में लगा है, जहां पर पार्टी सपा से भी पिछड़ गई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी भी अमेठी में हार गईं। अमेठी लोकसभा सीट पर स्मृति ईरानी को एक लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा है। अमेठी लोकसभा सीट पर कांग्रेस के किशोरी लाल 157348 वोटों से जीते उनको कुल 513412 वोट मिले जबकि स्मृति ईरानी को 356064 वोट ही मिल सके।

यहां राहुल गांधी पिछले लोकसभा चुनाव में अमेठी में हार गए थे, जिसके बाद कांग्रेस ने इस बार रणनीति में बदलाव करते हुए आखिरी समय में पत्ते खोले थे। शुरुआत में कयास लग रहे थे कि राहुल गांधी सिर्फ केरल की वायनाड सीट से ही चुनाव लड़ेंगे, लेकिन आखिरी वक्त में उनके अमेठी और बहन प्रियंका गांधी के रायबरेली से मैदान में उतरने की अटकलें तेज हो गईं। हालांकि, नामांकन के आखिरी दिन कांग्रेस ने राहुल को रायबरेली और अमेठी से सोनिया गांधी का कामकाज देखने वाले किशोरी लाल शर्मा को टिकट दे दिया। कांग्रेस सूत्रों ने इसे एक रणनीति करार दिया था और आज यही प्लानिंग सफल हो गई।

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केएल शर्मा के पीछे क्या थी कांग्रेस की प्लानिंग

जब अमेठी और रायबरेली के लिए कांग्रेस उम्मीदवारों का ऐलान किया गया, तो रायबरेली में तो कार्यकर्ता खुश थे, क्योंकि सोनिया गांधी के बाद उन्हें राहुल गांधी के तौर पर उम्मीदवार मिला था, लेकिन अमेठी में कांग्रेस वर्कर्स में अचानक मायूसी छा गई थी। केएल शर्मा के उम्मीदवार बनने की वजह से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं ने भी मान लिया कि अब शायद ही स्मृति ईरानी के खिलाफ जीत हो सके, लेकिन समय बीतने के साथ-साथ माहौल बदला और खुद प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाले रखा। कई दिनों तक अमेठी के गांव-गांव जाकर सभाएं कीं और आखिरकार केएल शर्मा को जीत तक पहुंचा दिया।

किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से टिकट देने के पीछे कांग्रेस की रणनीति मानी जा रही थी। प्लानिंग यह थी कि यदि अमेठी में केएल शर्मा की जीत होती है तो यह बड़ी खबर होगी। लोगों के बीच चर्चाएं होंगी कि केंद्रीय मंत्री को कांग्रेस के एक आम कार्यकर्ता ने हरा दिया। वहीं, यदि केएल शर्मा स्मृति से हार भी जाते तो भी स्मृति ईरानी के लिए कोई बड़ी उपलब्धि नहीं होगी, क्योंकि पिछले लोकसभा चुनाव में उन्होंने राहुल गांधी जैसे दिग्गज नेता को हराया था। अब जब अमेठी के नतीजे आ गए हैं और केएल शर्मा की जीत हो गई है तो कांग्रेस की यही रणनीति काम करती दिख रही।

प्रियंका गांधी की पहली प्रतिक्रिया

किशोरी लाल शर्मा को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी काफी खुश नजर आईं। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर मंगलवार दोपहर को केएल शर्मा को बधाई दी। प्रियंका गांधी ने लिखा, ''किशोरी भैया, मुझे कभी कोई शक नहीं था, मुझे शुरू से यक़ीन था कि आप जीतोगे। आपको और अमेठी के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों को हार्दिक बधाई।'' बता दें कि केएल शर्मा पंजाब के जालंधर से आने वाले केएल शर्मा ने चार दशक तक रायबरेली और अमेठी में गांधी परिवार का कामकाज देखा। वे सोनिया गांधी ही नहीं, बल्कि राहुल गांधी से भी जुड़े रहे।

अमेठी में घर बनाया, काम कराए पर हमेशा 'खास' बनी रहीं

अमेठी कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। राजीव गांधी, सोनिया, राहुल सभी यहां से जीतकर संसद पहुंचते रहे हैं। 1999 से लगातार अमेठी में गांधी परिवार के सदस्य ही जीत रहे थे। 2019 के लोकसभा चुनाव में इस पर ब्रेक लगा। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने 55 हजार वोट से चुनाव जीत लिया, राहुल गांधी की हार हुई थी। इस जीत ने स्मृति का कद काफी बढ़ा दिया। 5 साल में उन्होंने इन्फ्रास्ट्रक्चर और एजुकेशन के लिए काम किए। अमेठी में अपना घर भी बनाया, मगर लोगों के दिल में घर नहीं बना सकीं। आम लोगों का इनसे मिलना आसान नहीं था। इससे उलट, केएल शर्मा बहुत सादगी वाले व्यक्ति है। आम नागरिक की तरह वह चौक-चौपाटी पर उठना-बैठना करते हैं। लोगों ने वोट देते समय शायद यही सोचा कि क्यों न अपने आदमी को चुना जाए।

कार्यकर्ताओं को नजर अंदाज करती रहीं

स्मृति का कार्यकर्ताओं के बीच उठना-बैठना कम हो गया था। ज्यादातर समय दिल्ली में ही रहतीं। गिनती के कार्यकर्ताओं के साथ ही सीधा संपर्क था। निचले कार्यकर्ताओं से मिलना-जुलना बहुत कम हो गया, जिस कारण कार्यकर्ताओं ने दिल से जुड़कर काम नहीं किया।

क्या थी राहुल, प्रियंका और कांग्रेस की स्ट्रैटेजी, किन कारणों से स्मृति हारीं

स्ट्रैटजी-1. भाजपा को टिकट में उलझाया, अंदर ही अंदर तैयारी चलती रही
नामांकन की आखिरी तारीख से 1 दिन पहले राहुल गांधी के टिकट का ऐलान हुआ। ऐन वक्त तक क्लियर नहीं था कि अमेठी से लड़ कौन रहा है? उधर, किशोरी लाल शर्मा लंबे समय से अंदर ही अंदर अमेठी सीट पर चुनाव की तैयारियां कर रहे थे। पूरे पार्टी कैडर को किशेारी लाल के चुनाव लड़ने की जानकारी थी। वहीं, स्मृति ईरानी अपनी जीत को लेकर ओवरकॉन्फिडेंट दिख रही थीं। यही वजह है, भाजपा यहां चुनाव का माहौल सेट नहीं कर सकी। 2019 के चुनाव में पूरे भाजपा कैडर ने स्मृति ईरानी को चुनाव लड़ाया था, 2024 में ऐसा नहीं हुआ। वो कैंपेनिंग में अकेली दिख रही थीं। वोटिंग से पहले अमित शाह और CM योगी यहां कैंपेनिंग के लिए पहुंचे। मगर बहुत असर नहीं दिखा सके।

स्ट्रैटजी 2. केएल शर्मा ने नाराज कांग्रेसियों को मनाया, पत्नी-बेटी गांव-गांव कैंपेन करती रहीं
केएल शर्मा की पत्नी किरण शर्मा और 2 बेटियां गांव-गांव पहुंचकर चुनाव कैंपेन करती रहीं। 5 विधानसभा क्षेत्र में नुक्कड़ सभाएं कीं। खासकर महिला वोटर्स पर फोकस किया। कांग्रेस के समय में लॉन्च हुए प्रोजेक्ट, जिन्हें भाजपा ने आगे नहीं बढ़ाया, उनके बारे में बताया और लोगों को दोबारा कांग्रेस सरकार चुनने के लिए अपील की। दूसरी तरफ, केएल शर्मा ने गांव-गांव में पुराने कांग्रेसियों से संपर्क साधना शुरू किया। ये वो लोग थे, जो अलग-अलग कारणों से कांग्रेस से नाराज चल रहे थे। उनके साथ खुद बैठक की और दोबारा पार्टी के साथ जोड़ने में कामयाब रहे।

स्ट्रैटजी-3. प्रियंका-राहुल ने इमोशनली लोगों को कनेक्ट किया
2024 के चुनाव में राहुल की जोड़ी अखिलेश के साथ थी। अखिलेश अमेठी में प्रचार के लिए आए। उन्होंने मुस्लिम-यादव (M-Y) वोटर्स को सीधा संदेश दिया कि वोट कांग्रेस को ही करना है। साथ ही प्रियंका गांधी अमेठी के लोगों के बीच पहुंचती रहीं। महिलाओं को गले लगाकर कहतीं- हमारा दिल का रिश्ता है, 5 साल वाले इस रिश्ते को तोड़ नहीं सकते। मंच से भी लोगों को सीधे कनेक्ट करती रहीं। राहुल कहते रहे- 12 साल से यहां आ रहा हूं, जब मैं बच्चा था। लोग इन्हीं बातों से जुड़ते चले गए। राहुल मंच से अमेठी में अपने कार्यकाल में हुए डेवलपमेंट भी गिनाते रहे। इसका असर भी लोगों पर पड़ा।

स्ट्रैटजी 4. प्रियंका ने 3 दिन में 12 ताबड़तोड़ जनसभाएं कीं
प्रियंका अमेठी के लोगों के बीच 3 दिन रहीं। ताबड़तोड़ 12 जनसभाएं कीं। लोगों को समझाती रहीं कि भाजपा का सत्ता में आना क्यों लोगों के लिए फायदेमंद नहीं हैं। अमेठी के लोगों के लिए गांधी परिवार साफ्ट कॉर्नर रहा है। ऐसे में प्रियंका का 3 दिन अमेठी में लोगों के बीच रहने की स्ट्रैटजी का असर दिखा। भाजपा की तरफ जाता हुआ वोट एक बार फिर कांग्रेस की तरफ शिफ्ट हुआ। यही वजह है कि किशोरी लाल को 54.86% वोट मिले, स्मृति ईरानी 38.01% ही वोट हासिल कर सकीं।

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