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विधि-विधान से खुले ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट

11:09 AM May 10, 2024 IST | CNE DESK
विधि विधान से खुले ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट
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केदारनाथ धाम | उत्तराखंड में हिमालय पर्वत में स्थित विश्व प्रसिद्ध ग्यारहवें ज्योर्तिलिंग श्री केदारनाथ धाम के कपाट जय बाबा केदारनाथ के उदघोष तथा सेना के ग्रेनेडियर रेजीमेंट की बैंड की भक्तिमय धुनों के बीच इस यात्रा वर्ष के लिए शुक्रवार को प्रात: 7 बजे अक्षय तृतीया पर विधि- विधान से खुल गए।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित लगभग दस हजार से अधिक श्रद्धालु कपाट खुलने के गवाह बने। धामी ने सभी श्रद्धालुओं को बधाई दी और देश एवं प्रदेश की खुशहाली की कामना की। उन्होंने कहा कि इस बार चारधाम यात्रा नया कीर्तिमान बनायेगी। प्रदेश सरकार तीर्थयात्रियों की सुविधा हेतु प्रतिबद्ध है।

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मंदिर को 20 क्विंटल से अधिक फूलों से सजाया गया था। कपाट खुलते समय तीर्थयात्रियों पर आकाश से हैलीकाप्टर द्वारा फूलवर्षा हुई। श्रद्धालुओं के लिए जगह-जगह भंडारे आयोजित किये गये थे। मुख्य सेवक भंडारा कार्यक्रम समिति ने भी भंडारें आयोजित किये।

आज केदारनाथ में मौसम साफ रहा। आस-पास तथा दूर बर्फ होने से सर्द बयारें चलती रही। आज प्रातः चार बजे से मंदिर परिसर तथा दर्शन पंक्ति में यात्रियों के आने का सिलसिला शुरू हो गया था। उसके बाद बीकेटीसी अध्यक्ष अजेंद्र अजय रावल भीमांशंकर लिंग, मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह पुजारी, धर्माचार्य वेदपाठी तथा केदार सभा के पदाधिकारी तथा जिलाधिकारी डा. सौरभ गहरवार प्रशासन के अधिकारी पूरब द्वार से मंदिर पहुंच गये। उसके पश्चात, रावल, धर्माचार्य तथा पुजारी गणों ने द्वार पूजा शुरू की।

भगवान भैरवनाथ तथा भगवान शिव का आव्हान कर ठीक सुबह सात बजे बजे मंदिर के कपट खोल दिये गये। कपाट खुलने के बाद भगवान केदारनाथ के स्वयंभू शिवलिंग को समाधि रूप से श्रृंगार रूप दिया गया। उसके पश्चात श्रद्धालुओं ने दर्शन शुरू किये।

बीकेटीसी मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया गया कि कल शनिवार 11 मई को श्री केदारनाथ धाम में श्री भकुंट भैरव मंदिर के द्वार खुलने के साथ श्री केदारनाथ मंदिर में नित्य प्रति आरतियां एवं संध्याकालीन आरतियां शुरू हो जायेगी।

इस दौरान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, केदारनाथ धाम के रावल भीमाशंकर लिंग, पुजारी शिवशंकर लिंग, संस्कृति एवं कला परिषद के उपाध्यक्ष मधु भटृट तथा समस्त मंदिर समिति के कार्याधिकारी मौजूद रहे।

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