काले अक्षरों में अंकित की जायेगी सांसदों को संसद से बाहर करने की घटना
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। कांग्रेस जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह भोज ने कहा कि चुने हुए सांसदों को संसद से बाहर करने की घटना लोकतंत्र के इतिहास में काले अक्षरों में अंकित की जायेगी। स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा में असहमति को भी सुनना पड़ता है। देश और जनता से जुड़े हुए मुद्दों पर अगर लोकतंत्र के सर्वोच्च मंदिर में चर्चा नहीं की जायेगी तो वे बतायें कि वे किस सदन में चर्चा करना चाहते हैं। भोज यहां जिला कांग्रेस कमेटी अल्मोड़ा के तत्वाधान में गांधी पार्क में लोकसभा और राज्यसभा में सांसदों के निलंबन के विरोध में आयोजितन धरना—प्रदर्शन को संबोधित कर रहे थे।
प्रदर्शन के दौरान आयोहित सभा में कांग्रेस जिलाध्यक्ष भूपेन्द्र सिंह भोज ने कहा कि लोकसभा एवं राज्यसभा में संसद की सुरक्षा में हुई चूक के मसले पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग कर रहे विपक्षी दलों के 143 सांसदों की अलोकतांत्रिक तरीके से की गई निलंबन की कार्रवाई का कांग्रेस विरोध करते हुए इस कार्रवाई की कड़े शब्दों में निंदा करती है।
लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्य सभा उपसभापति द्वारा लोकतंत्र के सभी मानकों एवं मापदण्डों पर कुठाराघात करते हुए अलोकतांत्रिकता का घिनौना चेहरा सबके सामने लाते हुए कांग्रेस पार्टी सहित सभी विपक्षी दलों के 143 सांसद, जो देश की जनता के हितों की रक्षा के लिए, उन्हें जनता ने जो कर्तव्य निर्वहन की जिम्मेदारी दी है, उसके अनुसार सरकार से स्पष्टीकरण की मांग कर रहे थे, को संसद से निलम्बित कर दिया गया। यह भाजपा के फासीवादी एवं तानाशाही चरित्र का द्योतक ही नहीं अपितु स्वस्थ लोकतंत्र के भविष्य के लिए उचित नहीं है, जिसे लोकतंत्र में विश्वास रखने वाला कोई भी दल सहन नहीं करेगा।
कांग्रेस पार्टी का सदैव लोकतंत्र एवं लोकशाही में गहरा विश्वास रहा है और आज देश में लोकतंत्र के जितने भी स्तम्भ हैं, उनकी स्थापना में महात्मा गांधी से लेकर आज तक कांग्रेस पार्टी का एक लंबा इतिहास रहा है। चुने हुए जनप्रतिनिधियों को उनके कर्तव्यों से विमुक्त करना लोकतंत्र के प्रति अपराध है। असहमति के स्वरों को सुनना एवं स्वीकार करना स्वस्थ लोकतंत्र की पहचान है तथा भारतीय संसद लोकतंत्र के मूल्यों की रक्षा का सर्वोच्च मंच है।
सत्ता प्राप्ति के लिए जनता की संवेदनाओं का शोषण करने का भारतीय जनता पार्टी का लंबा इतिहास रहा है। इस प्रकार का गिरगिटी चरित्र भारतीय जनता पार्टी की पहचान है और वे जब सत्ता में होते हैं तो उनके स्वयं के लिए अलग नैतिक मूल्य एवं कानून होते हैं। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण संसद प्रकरण में विजिटिंग पास जारी करने वाले भारतीय जनता पार्टी के सांसद हैं जिन पर संसद कांड के संबंध मे अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
लोकसभा एवं राज्यसभा में गतिरोध बढ़ाने के लिए भाजपा ने मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस सहित सभी विपक्षी दलों के सांसदों के साथ जिस प्रकार की कार्रवाई की है वह भाजपा के तानाशाही रवैये को उजागर करती है। लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा उपसभापति द्वारा की गई इस कार्रवाई का विश्व के लोकतांत्रिक देशों में अच्छा संदेश नहीं गया है।
निवर्तमान नगर पालिका अध्यक्ष प्रकाश जोशी ने कहा की देश के बुद्धिजीवी वर्ग ने भी लोकसभा अध्यक्ष एवं राज्यसभा के उपसभापति के इस अलोकतांत्रिक कदम की सराहना नहीं की है। भारतीय जनता पार्टी विषेशकर गृहमंत्री अमित शाह को कांग्रेस पार्टी एवं विपक्षी दल के निलंबित सांसदों से माफी मांगनी चाहिए तथा सरकार को सुरक्षा में हुई चूक पर जिम्मेदारी लेते हुए सभी सांसदों का निलंबन वापस लिया जाना चाहिए।
धरना—प्रदर्शन कार्यक्रम में कांग्रेस नगर अध्यक्ष तारा चंद्र जोशी, पूर्व जिलाध्यक्ष पीतांबर पांडे, विनोद वैष्णव, शाहबुद्दीन, हेम तिवारी, धीरज गैलाकोटी, अवनी अवशती, एम एस राजपूत,
एमके जोशी, सुनील कर्नाटक, रमेश नेगी, ललित सतवाल, रोहित रौतेला, पूर्व दर्जा मंत्री पूरन रौतेला, अरविंद रौतेला, मोहन देवली, यूथ जिलाध्यक्ष दीपक कुमार, हर्ष कनवाल, महिला नगर अध्यक्ष दीपा साह, विपुल कार्की, विक्रम बिष्ट, नारायण दत्त पांडे, आशा थापा, तारु तिवारी, संजीव कर्मियाल, हरेंद्र रावत, दानिश खान, नवल बिष्ट आदि कार्यकर्ता उपस्थित रहे।