EducationHealthCovid-19Job Alert
Uttarakhand | Tehri GarhwalRudraprayagPithoragarhPauri GarhwalHaridwarChampawatChamoliUdham Singh NagarUttarkashi
AccidentCrimeUttar PradeshHome

भगवान राम की नई मूर्ति का नाम क्या रखा गया, एक क्लिक में पढ़ें

09:46 PM Jan 23, 2024 IST | CNE DESK
Advertisement

अयोध्या | अयोध्या के राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई भगवान राम की नई मूर्ति को बालक राम के नाम से जाना जाएगा। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा में शामिल रहे पुजारी अरुण दीक्षित ने बताया- नई मूर्ति का नाम बालक राम रखने का कारण यह है कि प्रभु एक बच्चे की तरह दिखते हैं, जिनकी उम्र 5 साल है।

Advertisement

वाराणसी के रहने वाले अरुण दीक्षित ने बताया कि पहली बार जब मैंने मूर्ति देखी, तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मेरी आंखों में खुशी के आंसू बहने लगे। उस समय मुझे जो अनुभूति हुई, उसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।

Advertisement

उन्होंने आगे कहा कि अब तक मैं 50-60 बड़े अभिषेक में शामिल रहा, लेकिन मेरे जीवन का यह सबसे अलौकिक, दिव्य और सर्वश्रेष्ठ कार्यक्रम रहा। दीक्षित ने कहा कि उन्हें मूर्ति की पहली झलक 18 जनवरी को मिली थी।

प्राण-प्रतिष्ठा में 6 यजमान शामिल हुए

सोमवार यानी 22 जनवरी को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा पूजा में PM मोदी और RSS चीफ मोहन भागवत समेत 6 यजमान शामिल हुए। इसके बाद मोदी ने करीब 35 मिनट का भाषण दिया। PM ने कहा- कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी। राम मंदिर किसी आग को नहीं, ऊर्जा को जन्म दे रहा है।

Advertisement

पुरानी मूर्ति नई मूर्ति के सामने रखी गई

श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अनुसार, रामलला की पुरानी मूर्ति, जो पहले एक अस्थायी मंदिर में रखी गई थी। उसे भी नई मूर्ति के सामने रखा गया है। मूर्ति के लिए आभूषण अध्यात्म रामायण, वाल्मिकी रामायण, रामचरितमानस और अलवंदर स्तोत्रम जैसे ग्रंथों के गहन शोध और अध्ययन के बाद तैयार किए गए हैं।

मूर्ति को बनारसी कपड़े से सजाया गया

मूर्ति को बनारसी कपड़े से सजाया गया है, जिसमें एक पीली धोती और एक लाल 'पताका' या 'अंगवस्त्रम' है। 'अंगवस्त्रम' को शुद्ध सोने की 'जरी' और धागों से सजाया गया है, जिसमें शुभ वैष्णव प्रतीक-शंख, पद्म, चक्र और मयूर शामिल हैं।

Advertisement

रामलला ने पहने 5 किलो सोने के आभूषण

5 साल के बालक रूप में विराजमान रामलला का सोने के आभूषणों से श्रृंगार देख लोग भाव-विभोर हो गए। ट्रस्ट सूत्रों के मुताबिक, 200 किलो की प्रतिमा को 5 किलो सोने के जेवरात पहनाए गए हैं। नख से ललाट तक भगवान जवाहरातों से सजे हुए हैं। रामलला ने सिर पर सोने का मुकुट पहना है।

मुकुट में माणिक्य, पन्ना और हीरे लगे हैं। बीच में सूर्य अंकित हैं। दायीं ओर मोतियों की लड़ियां हैं। वहीं, कुंडल में मयूर आकृतियां बनी हैं। इसमें भी सोना, हीरा, माणिक्य और पन्ना लगा है। ललाट पर मंगल तिलक है। इसे हीरे और माणिक्य से बनाया है। कमर में रत्न जड़ित करधनी है। इसमें छोटी-छोटी पांच घंटियां भी लगाई हैं। दोनों हाथों में रत्न जड़े कंगन हैं। बाएं हाथ में सोने का धनुष और दाहिने में सोने का बाण है।

तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनी मूर्ति

मैसूर के मूर्तिकार अरुण योगीराज द्वारा तराशी गई 51 इंच की मूर्ति को तीन अरब साल पुरानी चट्टान से बनाया गया है। नीले रंग की कृष्णा शिला की खुदाई मैसूर के एचडी कोटे तालुका में जयापुरा होबली में गुज्जेगौदानपुरा से की गई थी। यह एक महीन से मध्यम दाने वाली आसमानी-नीली मेटामॉर्फिक चट्टान है, जिसे आम तौर पर इसकी चिकनी सतह की बनावट के कारण सोपस्टोन कहा जाता है।

कृष्ण शिला रामदास (78) की कृषि भूमि को समतल करते समय मिली थी। इसके बाद एक स्थानीय ठेकेदार ने पत्थर की गुणवत्ता का आकलन किया था। इसके बाद अयोध्या में मंदिर के ट्रस्टियों से बात की थी।

 

Related News