पूरे गांव की कुंवारी लड़कियों को बता दिया गर्भवती, फिर क्या हुआ
सीएनई डेस्क। उत्तर प्रदेश राज्य के वाराणसी अंतर्गत मलहिया गांव में एक अजीब किसम का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। यहां तीन दर्जन से अधिक कुंवारी लड़कियों को पहुंचे एक सरकारी मैसेज के बाद से हड़कंप बच गया। जारी हुए संदेश में लिखा गया है कि, बधाई हो! आपका बच्चा पोषण ट्रैकर में सफलता पूर्वक पंजीकृत हो गया है।
उल्लेखनीय है कि वाराणसी के मलहिया गांव में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से 40 कुंवारी लड़कियों को गर्भवती घोषित कर दिए जाने से हड़कंप मच गया। लड़कियों को मंत्रालय की ओर से एक मैसेज मिला, जिसमें बताया गया था कि उनका पोषण ट्रैकर में सफलता पूर्वक पंजीकरण हो गया है और वे आंगनबाड़ी केंद्र से विभिन्न सेवाएं जैसे स्तनपान पर परामर्श, वृद्धिमाप, स्वास्थ्य रेफरल सेवाएं और टीकाकरण जैसी सुविधाओं का लाभ ले सकती हैं।
बता दें कि मोबाइल पर आए मैसेज में पुष्टाहार सेवा का भी जिक्र था। यह संदेश देख लड़कियों और उनके परिवारों में हड़कंप मच गया। ग्राम प्रधान के माध्यम से मुख्य विकास अधिकारी से शिकायत की गई। इसके बाद इस मामले की जांच शुरू की गई। पूरे मामले की जब जांच की गई तो पाया गया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की गलती के कारण यह संदेश लगभग 40 लड़कियों को भेज दिया गया।
इधर मंत्रालय के अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की मानवीय भूल के कारण वोटर रजिस्ट्रेशन के लिए पंजीकरण कर रही युवतियों का पुष्टाहार में पंजीकरण कर दिया गया। जिस कारण इन लड़कियों को यह मैसेज मिला कि वे गर्भवती हैं। मैसेज में लिखा था...- बधाई हो! आपका बच्चा पोषण ट्रैकर में सफलता पूर्वक पंजीकृत हो गया है। आप होम विजिट माध्यम से स्तनपान पर परामर्श, वृद्धिमाप, स्वास्थ्य रेफरल सेवाएं और टीकाकरण जैसी सेवाओं का लाभ आंगनबाड़ी केन्द्र के माध्यम से उठा सकती हैं।
इधर जिला कार्यक्रम अधिकारी ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ता को नोटिस जारी कर कहा कि स्पष्टीकरण दें। संतोषजनक जवाब न मिलने पर आपकी मानदेय सेवा समाप्त कर दी जाएगी। नोटिस मिलने के बाद आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमनलता ने गुरुवार को जिला कार्यक्रम अधिकारी को अपना इस्तीफा भेज दिया।
इस्तीफे में उत्पीड़न का जिक्र
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सुमनलता ने जिला कार्यक्रम अधिकारी को जो इस्तीफा भेजा है, उसमें लिखा है कि मैं गांववालों के उत्पीड़न की वजह से मानसिक अवसाद में हूं। खुद की और परिवार की इज्जत खराब होने की वजह से इन गांववालों के साथ काम करने में असमर्थ हूं।
जांच में सामने नहीं आया राशन घोटाला
विभाग ने जांच कर डीएम को रिपोर्ट भेजी है। इसमें ग्राम प्रधान की ओर से छह माह से राशन घोटाला करने के प्रकरण की जांच भी की गई। जिला कार्यक्रम अधिकारी की रिपोर्ट के अनुसार पोषण ट्रैकर के सितंबर माह की जांच के साथ आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का एक साल का रजिस्टर जांचा गया तो इन लड़कियों का नाम उसमें नहीं पाया गया। ऐसे में साफ हो गया कि इन लड़कियों के नाम से कोई पोषाहार विभाग की ओर से नहीं निकाला गया।
गलती से हो गया यह सब : डीके सिंह, जिला कार्यक्रम अधिकारी
जिला कार्यक्रम अधिकारी ने कहा कि 18 लड़कियों के बयान लिए गए तो स्पष्ट हुआ कि उनके आरोप सही थे। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने सत्यापन के लिए उनसे आधार कार्ड लिया और उनका नाम गर्भधात्री के रूप में दर्ज कर दिया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता से स्पष्टीकरण मांगा गया तो उन्होंने अपना इस्तीफा भेजा है। उनके मुताबिक बच्चों से मदद लेकर वह पोर्टल पर नाम फीड करती थीं। गलती से लड़कियों के नाम गर्भधात्री के रूप में दर्ज हो गए हैं। जांच में राशन घोटाले के आरोप सही नहीं पाए गए।