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चम्पावत में होगा इस वर्ष का ‘राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन’

10:19 AM Sep 17, 2024 IST | CNE DESK
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✍️ 10, 11 व 12 नवंबर की तिथियां तय, भाषा विकास को होगा मंथन
✍️ देशभर से हिस्सा लेंगे प्रवासी कुमाऊंनी भाषा के विद्वान व भाषा प्रेमी

सीएनई रिपोर्टर, चंपावत/अल्मोड़ा: उत्तराखंड की लोकभाषाओं में प्रमुखता से शुमार 'कुमाऊंनी भाषा' पर आधारित राष्ट्रीय सम्मेलन आगामी नवंबर माह के पहले पखवाड़े में होगा। इसकी तैयारी के लिए आयोजित गोष्ठी में तय किया है कि इस वर्ष ‘राष्ट्रीय कुमाऊंनी भाषा सम्मेलन’ चम्पावत में आयोजित होगा। यह तीन दिवसीय सम्मेलन 10 नवंबर को शुरु होगा। जिसमें पूरे देशभर से प्रवासी कुमाऊंनी भाषा के विद्वान, जानकार व भाषा प्रेमी हिस्सा लेंगे।

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मालूम हो कि कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति तथा कुमाऊंनी भाषा की मासिक पत्रिका 'पहरु' दशकों से लोक भाषा कुमाऊंनी के विकास व संरक्षण में जुटी है और इन्हीं प्रयासों के चलते वर्ष 2008 से प्रतिवर्ष कुमाऊंनी भाषा पर राष्ट्रीय सम्मेलन भी आयोजित करती है। इस बार 16वां सम्मेलन चंपावत में आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इसी क्रम में चंपावत में कुमाऊंनी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति प्रचार समिति व 'पहरु' की संयुक्त गोष्ठी हुई। जिसमें सम्मेलन की तैयारियों पर चर्चा कर कार्यक्रमों की रुपरेखा तय की गई। तय हुआ कि यह सम्मेलन अगले माह यानी नवंबर 2024 की 10वीं, 11वीं व 12वीं तारीख को चंपावत में होगा। इस सम्मेलन की अध्यक्षता साहित्यकार डाॅ. तिलकराज जोशी करेंगे। सम्मेलन के लिए शिक्षाविद डाॅ. भुवन चंद्र जोशी को संयोजक बनाया गया है। गोष्ठी में अमरनाथ वर्मा, डाॅ. कमलेश शक्टा, नवीन चंद्र पंत, डाॅ. सुमन पांडे, बबीता जोशी, डाॅ. सतीश पांडे, भूपेन्द्र देव ‘ताऊ जी’, नवीन मुरारी, गिरीश चंद्र पंत, हिमांशु जोशी, त्रिभुवन उपाध्याय, डाॅ. डी.एन. तिवारी, हरीश चंद्र जुकरिया, आनंद मुरारी, गीता तिवारी, सुभाष चंद्र जोशी आदि मौजूद रहे।
इधर समिति के सचिव एवं पहरु के संपादक डा. हयात सिंह रावत ने बताया कि सम्मेलन में कुमाऊंनी भाषा के विकास पर मंथन होगा। वहीं कुमाऊंनी रचनाकारों सोनिया आर्य, कमला वेदी, दीपा पांडे, डाॅ. सुमन पांडे, प्रकाश जोशी ‘शूल’, डाॅ. कमलेश शक्टा, ललित मोहन, बबीता जोशी आदि द्वारा कुमाऊंनी कविताएं परोसी जाएंगी। डा. रावत ने बताया कि सम्मेलन में विविध विधाओं में उत्कृष्ट कुमाऊंनी लेखन एवं कुमाऊंनी के संरक्षण में योगदान के लिए साहित्यकारों, भाषा सेवियों तथा संस्कृति कर्मियों व कलाकारों को सम्मानित भी किया जाएगा।

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