महिला जज का मार्मिक पत्र : यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीख लें महिलाएं
ख़बर में विशेष : उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात एक महिला जज के पत्र ने देश भर में वैचारिक तूफान खड़ा कर दिया है। महिला जज ने न केवल एक जिला न्यायाधीश व उसके साथी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया, बल्कि यह भी बताया है कि कैसे न्याय मांगने पर कैसे मात्र 08 सेकंड में सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका खारिज कर दी गई। देश भर की बौद्धिक जनता यह सवाल पूछ रही है कि जिस देश में इतने बड़े पद पर तैनात महिला को न्याय नहीं मिल पा रहा तो आम लोगों के साथ क्या नहीं होता होगा !
CNE DESK/यूपी की महिला जज ने उत्पीड़न के मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने पर मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा है। जिसमें एक जिला न्यायाधीश पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। साथ ही सीजेआई से सम्मानजनक ढंग से अपना जीवन खत्म करने की अनुमति मांगी है।
SC के चीफ जस्टिस ने रातों-रात हाईकोर्ट से मांगा जवाब
महिला का पत्र इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है। जिसके बाद मामला देश भर में चर्चा का विषय बन गया है। जिसका संज्ञान लेते हुए सीजेआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सीजेआई जस्टिस चंद्रचूड़ ने बृहस्पतिवार देर रात सुप्रीम कोर्ट के महासचिव अतुल एम कुरहेकर को इलाहाबाद हाईकोर्ट प्रशासन से स्टेटस रिपोर्ट मांगने को कहा है।
उन्होंने हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पत्र लिखकर महिला जज की सारी शिकायतों पर जानकारी उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही आंतरिक शिकायत समिति से भी कार्रवाई को लेकर पूछताछ की है। कहा यह भी जा रहा है कि हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश ने भी सार्वजनिक पत्र का संज्ञान लिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी शिकायत
बता दें कि सर्वोच्च न्यायालय ने गत 13 दिसंबर को महिला जज की याचिका खारिज कर दी थी। कोर्ट ने कहा कि आंतरिक समिति चूंकि मामले को देख रही है, अतएव सुप्रीम कोर्ट को दखल देने का कारण नजर नहीं आ रहा है। महज 08 आठ सेकंड के अंदर याचिका खारिज होने से महिला बहुत आहत हुई। तब उसने सीजेआई के नाम दो पेज का पत्र लिखा।
पत्र में कही यह बात
महिला जज ने पत्र में लिखा है कि वह जीवन समाप्त करने का प्रयास कर चुकी हैं। सीजेआई को उन्होंने ‘सबसे बड़े अभिभावक’ के रूप में भी संबोधित किया है। महिला ने अपना जीवन समाप्त करने की अनुमति मांगी है।
रात में जिला जज से मिल लो
महिला जज का संगी आरोप है। उसका कहना है कि बाराबंकी में तैनाती के दौरान एक विशेष जिला न्यायाधीश और उनके सहयोगियों ने उसका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया है। यही नहीं उसे रात में जिला जज से मिलने के लिए भी कहा गया। जिस पर उसने 2022 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश और प्रशासनिक न्यायाधीश (हाईकोर्ट के न्यायाधीश) से शिकायत की लेकिन आज की तारीख तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
कोई कुछ पूछने—सुनने को तैयार नहीं
महिला का कहना है कि उसकी इतनी बड़ी पीड़ा है, लेकिन कोई सुधलेवा नहीं है। वह मामले की निष्पक्ष जांच चाहती थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका को बुधवार को महज आठ सेकंड के अंदर खारिज कर दिया गया।
मेरे साथ हुआ कूड़े जैसा व्यवहार
जज के पद पर तैनात महिला ने पत्र में कहा है कि उसके साथबिल्कुल कूड़े जैसा व्यवहार हुआ है। वह स्वयं को किसी कीड़े जैसा महसूस कर रही है। वह दूसरों को न्याय दिलाना चाहती थी। लेकिन अब भारत की सभी कामकाजी महिलाओं से कहना चाहती है कि यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीख लें। यह हमारे जीवन का सच है।
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