प्रशिक्षणार्थियों ने जाना मानसिक स्वास्थ्य का महत्व, प्रो. नयाल ने दिए टिप्स
📌 शिक्षा संकाय में चल रही सामुदायिक कार्यशाला का समापन
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा। सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय परिसर अल्मोड़ा के शिक्षा संकाय गत बुधवार से प्रारंभ हुई पांच दिवसीय सामुदायिक कार्यशाला का आज विधिवत समापन हुआ। रविवार को 'मानसिक स्वास्थ्य एवं आरोग्य' विषय पर कार्यक्रम हुआ।
उल्लेखनीय है कि कार्यशाला के शुरूआती दिवसों में परिसर के प्रांगण में स्वच्छता कार्य, जागरूकता संबंधी विषयों पर पोस्टर निर्माण, नुक्कड़ नाटकों का मंचन, खेल प्रतियोगिताएं आदि हुए। कार्यशाला के बौद्धिक सत्रों में 'विलुप्त होती लोक संस्कृति' उद्यमिता और कौशल विकास', 'रक्तदान-महादान' जैसे विषयों पर प्रशिक्षणार्थियों से वार्तालाप की गई। बौद्धिक सत्रों में अपने-अपने क्षेत्रों के व्यक्ति विशेषों को आमंत्रित किया गया। बौद्धिक सत्र में उपस्थित रहे प्रबुद्धजनों के द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को कौशल विकास के साथ-साथ मानसिक व शारिरिक रूप से स्वस्थ रहने की बात बताई गई।
कार्यशाला के पंचम व अंतिम दिवस में मुख्य अतिथि के रूप में मनोविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. मधुलता नयाल उपस्थित रहीं। साथ ही मनोविज्ञान विभाग से शोधार्थी मीना व रेनू तिवारी भी प्रशिक्षणार्थियों के मध्य पहुंचे। कार्यक्रम की मंगलप्रद शुरुआत बुद्धिदायिनी मां शारदा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर की गई। विभाग में पहुंचे अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल, विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ. नीलम व सुश्री सरोज जोशी के द्वारा बैज अलंकृत व पुष्पगुच्छ भेंट कर किया गया।
प्रो. भीमा मनराल ने अतिथियों का स्वागत संबोधन करते हुए बताया कि प्रो. नयाल द्वारा राष्ट्रीय व अंतराष्ट्रीय स्तर पर बहुत काम किया गया है और साथ ही उनके द्वारा 'हैपिन्नेस लैब' की स्थापना भी की गई है। जिससे मानव जीवन की मानसिक समस्याओं जैसे तनाव, कार्य दबाव, चिंता, व्यग्रता, उत्कंठा, अवसाद आदि का निवारण करने का अथक प्रयास किया जा रहा है।
तदोपरांत मुख्य अतिथि प्रो. मधुलता नयाल व उनके साथ आए विभिन्न 'मानसिक स्वास्थ्य एवं आरोग्य' से संबंधित मनोवैज्ञानिक क्रियाकलाप कराए गए। प्रशिक्षणार्थियों को पी.एम.आर. (progressive muscle relaxation) करवाई गईं। 'अवसादीय कुआँ' व 'संज्ञानात्मक मानसिक चालक' गतिविधियों से प्रशिक्षणार्थियों को रोचक रूप से व्यस्त रखते हुए मानसिक स्वास्थ्य की महत्ता से परिचित किया गया।। मानसिक स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए भावनाओं को नियंत्रित रखना, सभी को माफ़ करते हुए आगे बढ़ना अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि 'दूसरों की जय से पहले, खुद को जय करें' अपनाकर हम अपने को एवं साथ-साथ दूसरों को भी मानसिक रूप से स्वस्थ रख सकते हैं।
बी.एड. व एम.एड. के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा 'मानसिक स्वास्थ्य एवं आरोग्य' सत्र की गतिविधियों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया गया। प्रशिक्षणार्थियों ने विभिन्न प्रश्न पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। कार्यक्रम का हास्यप्रद समापन
बी.एड., एम.एड. के प्रशिक्षणार्थियों के ठहाकों के साथ हुआ। संचालन प्रो. रिजवाना सिद्दीकी के द्वारा किया गया।
कार्यक्रम के पंचम दिवस में विभागाध्यक्ष प्रो. भीमा मनराल, प्रो. रिजवाना सिद्दीकी, डॉ. नीलम, डॉ. देवेन्द्र चम्याल, डॉ. संदीप पाण्डे, डॉ. ममता काण्डपाल, डॉ. पूजा प्रकाश, ललिता रावल, विनीता लाल, सरोज जोशी, बी.एड. व एम. एड. के समस्त प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे।