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राजौरी आतंकी हमले में उत्तराखंड के दो लाल शहीद, परिवार में छाया मातम

01:17 PM Dec 23, 2023 IST | CNE DESK
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Uttarakhand News | जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले में सेना के वाहन पर हुए हमले में उत्तराखंड के दो लाल कोटद्वार (पौड़ी) निवासी गौतम कुमार और चमोली निवासी बीरेंद्र सिंह देश के लिए शहीद हो गए।

जवानों के बलिदान की खबर से पूरा परिवार सदमे में है। वहीं क्षेत्र में मातम पसर गया। बलिदानियों का पार्थिव शरीर शनिवार को उनके निवास स्थान लाया जाएगा। जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

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कोटद्वार के शिवपुर निवासी 29 वर्षीय गौतम कुमार वर्ष 2014 में सेना का हिस्सा बने थे। 89 आर्म्ड रेजिमेंट में राइफलमैन के पद पर कार्यरत गौतम की तैनाती इन दिनों जम्मू-कश्मीर में पुंछ जिले के राजौरी सेक्टर में थी।

गुरुवार दोपहर पुंछ के बफलियाज क्षेत्र में आतंकवादियों ने सेना के दो वाहनों पर घात लगाकर हमला कर दिया था। इसमें गौतम भी बलिदान हो गए। गुरुवार रात सेना ने परिजनों को इसकी सूचना दी, जिसके बाद घर में मातम छा गया। गौतम के बड़े भाई राहुल ने बताया कि गौतम 30 नवंबर को छुट्टी लेकर घर आए थे और 16 दिसंबर को उन्होंने ड्यूटी पर वापसी की थी।

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अगले साल होनी थी शादी

अगले वर्ष 11 मार्च को गौतम का विवाह तय था। इन दिनों घर में शादी की तैयारियां चल रही थीं। लेकिन, इससे पूर्व ही नियति के क्रूर हाथों ने उन्हें छीन लिया। गौतम के पिता विजय कुमार का भी दो वर्ष पहले निधन हो चुका है, वह शिक्षा विभाग में कार्यरत थे। बड़े भाई राहुल के अलावा घर में गौतम की माता और दो बहनें हैं। सभी भाई-बहनों की शादी हो चुकी है।

बीरेंद्र सिंह ने भी दी प्राणों की आहुति

चमोली जिले में नारायणबगड़ विकासखंड के सैनिक बाहुल्य गांव बमियाला निवासी 33 वर्षीय बीरेंद्र सिंह वर्ष 2010 में सेना की 15 गढ़वाल राइफल में बतौर राइफलमैन भर्ती हुए थे। वर्तमान में वह भी पुंछ में तैनात थे। बमियाला के प्रधान कमलकांत ने बताया कि गुरुवार को सेना ने बीरेंद्र के बलिदान होने की सूचना दी, इसके बाद से बलिदानी की पत्नी, माता-पिता व अन्य स्वजन का रो-रोकर बुरा हाल है। बीरेंद्र के बड़े भाई धीरेंद्र सिंह आइटीबीपी में तैनात हैं।

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पत्नी और बच्चों को छोड़ गए बीरेंद्र

धीरेंद्र ने बताया कि बीरेंद्र ने छह जनवरी को छुट्टी पर घर आने की बात कही थी। बलिदानी अपने पीछे पत्नी शशि देवी और दो बेटियों इशिका (5) व आयशा (3) को छोड़ गए हैं।

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