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गमछा बांधकर UPSC पढ़ाने वाले ओझा सर AAP में शामिल

03:26 PM Dec 02, 2024 IST | CNE DESK
गमछा बांधकर upsc पढ़ाने वाले ओझा सर aap में शामिल

नई दिल्ली | सिर पर गमछा बांधकर UPSC की पढ़ाई कराने वाले ओझा सर ने आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली है। पार्टी के नेशनल कन्‍वेनर अरविंद केजरीवाल और सीनियर पार्टी लीडर मनीष सिसोदिया ने उन्‍हें पार्टी में शामिल किया। इस मौके पर ओझा सर ने कहा कि शिक्षा वो दूध है, जो पियेगा वो दहाड़ेगा। वो पिछले 22 सालों से छात्रों को कोचिंग दे रहे हैं। उनके सोशल मीडिया फॉलोअर्स की गिनती लाखों में है। अब फरवरी 2025 में होने जा रहे दिल्‍ली असैंबली इलेक्‍शंस में ओझा सर AAP के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं।

गमछा बांधकर UPSC पढ़ाने वाले ओझा सर AAP में शामिल

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पहले BJP, फिर कांग्रेस से मांग चुके हैं टिकट

अगस्‍त 2024 में एक न्‍यूज चैनल को दिए इंटरव्‍यू में अवध ओझा ने बताया था कि वो पिछले लोकसभा चुनावों में BJP के टिकट पर चुनाव लड़ना चाहते थे। उन्‍होंने पार्टी से प्रयागराज सीट का टिकट मांगा था, मगर मिला नहीं। पार्टी ने उन्‍हें कैसरगंज से लड़ने के लिए कहा, मगर उन्‍हें प्रयागराज से लड़ना था। उन्‍होंने बताया कि अपनी मां के मना करने पर वो कैसरगंज से चुनाव नहीं लड़े। इसके बाद उन्‍होंने कांग्रेस से अमेठी सीट पर लड़ने के लिए टिकट मांगा। शुरुआत में पार्टी इसके लिए तैयार थी, मगर बाद में किशोरीलाल शर्मा को इस सीट से टिकट मिल गया।

जमीन बेचकर UPSC की तैयारी की, मेन्‍स में फेल हुए

अवध ओझा 3 जुलाई 1984 को UP के गोंडा में पैदा हुए। उनके पिता श्रीमाता प्रसाद ओझा पोस्‍ट मास्‍टर थे। उनके पास 10 एकड़ जमीन थी। पिता ने अपनी पत्‍नी को पढ़ाई कराने के लिए 5 एकड़ जमीन बेच दी। पढ़ाई पूरी करने के बाद वे वकील बनीं। दूसरी बार अपने बेटे की पढ़ाई के लिए श्रीमाता प्रसाद ओझा ने बाकी 5 एकड़ जमीन भी बेच दी। अवध UPSC की तैयारी में जुट गए। एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने कहा था, 'मैं जहां से आता हूं, वहां या तो आपको IAS ऑफिसर बनना होगा, या फिर अपराधी।' उन्‍होंने प्रीलिम्‍स क्लियर किया मगर मेन्‍स में फेल हो गए। इसके बाद उन्‍होंने जेब खर्च चलाने के लिए इलाहाबाद में एक कोचिंग में इतिहास पढ़ाना शुरू कर द‍िया। इस दौरान उन्‍होंने BA इन हिस्‍ट्री, MA इन हिंदी लिटरेचर, LLB, MPhil और PhD इन हिंदी लिटरेचर की डिग्रियां हासिल कीं।

एक इंटरव्‍यू में उन्‍होंने बताया, '2006-07 की बात है। मैं 2005 में दिल्ली आ गया था। अपना संस्थान खोल दिया था- ऊष्मा कोचिंग सेंचर। घर से तो कोई पैसा मिला नहीं। हमें खुद ही से कोचिंग सेंटर का रेंट देना होता, घर का किराया, दिल्ली में रहना। तब मुखर्जीनगर का खर्चा होता था 20,000 रुपए महीना। तो वो सारे ख़र्चे वहन करने थे। इसलिए रात में काम करना पड़ता था और सुबह क्लास लेते थे। ​​​​​​' ​

पढ़ाने के तरीके से परेशान होकर स्‍टूडेंट्स कोचिंग छोड़ने लगे

शुरुआत में अवध ओझा के पढ़ाने का तरीका बेहद नीरस था। एक इंटरव्‍यू में वो बताते हैं, 'मेरे पढ़ाने के तरीके से परेशान होकर स्‍टूडेंट्स ने कोचिंग छोड़ना शुरू कर दिया। मैंने इसकी वजह जानने के लिए बच्‍चों से फीडबैक लिया। इसके बाद नए तरीके से पढ़ाना शुरू किया।' उनका नया अंदाज छात्रों को पसंद आने लगा। कुछ स्‍टूडेंट्स ने क्‍लासरूम में उनके वीडियो शूट कर सोशल मीडिया पर शेयर किए जो वायरल हो गए। साल 2020 में उन्‍होंने अपना YouTube चैनल शुरू कर दिया। इस चैनल के आज 8,79,000 सब्‍सक्राइबर्स हैं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो आज उनकी नेटवर्थ 11 करोड़ रुपए है।

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