बागेश्वर: गौरा—महेश को पूजा, परंपरागत बिरुड़ चढ़ाए
✍️ बोहाला में तीन दिवसीय सातूं—आठूं मेला आयोजित
सीएनई रिपोर्टर, बागेश्वर: बागेश्वर में हर पर्व विविध लोकपर्व मनाने की परंपरा रही है। इन्हीं पर्वों में से एक सातूं-आठूं भी है। जो कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा, चंपावत, पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिलों में मनाया जाता है। इस बार बोहाला में तीन दिनी मेले का भव्य आयोजन हो रहा है। विधायक पार्वती दास के प्रतिनिधि गौरव दास, मेला समिति के अध्यक्ष नरेंद्र रावत और पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने दीप जलाकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। कलारों ने रंगारंग कार्यक्रम पेश किए।
मालूम हो कि लोक कथाओं पर आधारित इस पर्व को भादो महीने में मनाया जाता है। पंचमी के दिन महिलाएं व्रत रखकर सात अनाज भिगोते हैं, जिनमें मटर, चना, गेहूं, सरसों, तिलजौ प्रमुख हैं। पंचमी के दिन इन सात अनाज को साफ करके धोकर तांबे या पीतल के बर्तन में रखने की परम्परा रही है। फिर इसे घर के मंदिर के पास साफ जगह पर रख दिया जाता है। इस त्यौहार को गांव की महिलाएं और अन्य लोग सामूहिक रूप से मनाते हैं। सप्तमी के दिन महिलाएं व्रत धारण करती हैं और हरे-भरे खेत में जाकर तिल और पाती की टहनियों से गौरा और महेश की प्रतिमाएं बनाती हैं। इन्हें सुन्दर वस्त्र पहनाए जाते हैं और श्रृंगार भी किया जाता है। सप्तमी के शाम को गौरा-महेश की पूजा-अर्चना की जाती है और वह अनाज जिन्हें बिरुड़ कहते हैं, उन्हें गौरा-महेश को चढ़ाया जाता है। आठूं के दिन भिगोए हुए बिरुड़ को पकाया जाता है और इसे प्रसाद के तौर पर सबको बांटा जाता है।
बोहाला में आयोजित कार्यक्रम में अध्यक्ष रौतेला ने कहा कि मेला हमारा पौराणिक मेला है। इसे आगे बढ़ाया जाएगा। विधायक प्रतिनिधि ने कहा कि यह मेला काफी पौराणिक मेला है। इस मेले में हमारी संस्कृति देखने को मिलती है। पूर्व जिपं अध्यक्ष हरीश ऐठानी ने कहा कि मेले हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का काम करते हैं। इस मौके पर हेमा रौतेला, मनीष कुमार, प्रमोद कुमार, राजेंद्र टंगड़िया, कवि जोशी, आशीष कुमार,गोबिंद सिंह, दर्शन सिंह, महिपाल सिंह, मोहन सिंह, पूरन असवाल, मोहन कोश्यारी, संतोष, लाछिमा देवी, मुन्नी देवी आदि मौजूद रहे।