उपलब्धि: संगीत के क्षेत्र में 'शिखर' की तरफ बढ़ी अल्मोड़ा की 'शिखा'
✍️ जाने—माने निर्देशक संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज में गाया गाना
✍️ कई एलबमों में बिखेर चुकी सुरीले स्वर, फिल्म भुज में गाया थीम सांग
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: अल्मोड़ा नगर की निवासी होनहार व मेधावी युवती शिखा निरंतर प्रगति के पायदान चढ़कर अपने परिवार व सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा का नाम रोशन कर रही हैं। कड़ी मेहनत से उन्नति की सीढ़ी चढ़ते हुए उन्हें अब जाने—माने निर्देशक संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज—हीरा मंडी में गाने का मौका मिला है। कई एलबमों में काम कर चुकी शिखा की यह बड़ी उपलब्धि है। उच्च शिक्षा प्राप्त एवं कंठ कोकिला सम्मान से सम्मानित शिखा जोशी वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं।
जानिए! कौन हैं शिखा जोशी
कुंजपुर अल्मोड़ा निवासी एवं क्षेत्रीय खाद्य अधिकारी के पद से सेवानिवृत्त जेपी जोशी एवं महिला प्रधान अभिकर्ता माया जोशी की पुत्री शिखा जोशी के भाई विनीत जोशी, पंजाब नेशनल बैंक अल्मोड़ा कार्यरत हैं।
उल्लेखनीय कार्य पर हो चुकी सम्मानित
शिखा जोशी आदतें, खामोश, लाल भंवरा, हिमांचली, प्रेम की होली आदि कई एलबमों में काम कर चुकी है। शिखा ने वर्ष 2021 में अजय देवगन की 'Bhuj— The Pride Of India' में थीम सांग गाया था। तब इन्हें सुर नूर (कंठ कोकिला) के सम्मान से नवाजा गया था। 8 जुलाई 2023 को उन्हें उल्लेखनीय कार्य के लिए देहरादून में सम्पन्न हिमालयन सांस्कृतिक केंद्र के शुभारंभ उत्सव निनाद में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सम्मानित किया। अजय देवगन की फिल्म भुज के बाद संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज—हीरा मंडी में गाने का मौका शिखा को मिला। जिसमें उन्होंने 'मासूम दिल है मेरा' गाना गाया।
काफी मेधावी व मेहनती है शिखा
शिखा जोशी की प्रारंभिक शिक्षा कूर्मांचल एकेडमी अल्मोड़ा में हुई। उन्होंने आर्मी स्कूल अल्मोड़ा से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद मीराण्डा हाउस दिल्ली (Faculty of Music and Fine Arts) से बीए आनर्स किया। इसके बाद वनस्थली विद्यापीठ नेवई, राजस्थान से म्यूजिक से एमए, एम.फिल की शिक्षा प्राप्त की और वर्तमान में पीएचडी कर रही हैं। एम.फिल में उत्कृष्ट कार्य के लिए उन्हें स्वर्ण पदक देकर सम्मानित किया गया। वर्ष 2021 में रसिया में संपन्न हुए यूथ फैस्टेबल में शिखा जोशी ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।
माता—पिता, गुरु व दादा को देती है श्रेय
शिखा का कहना है कि संजय लीला भंसाली के साथ काम करना उनके लिए एक बहुत बड़ी उपलब्धि हैं और अपनी इस उपलब्धि का श्रेय वह अपने माता—पिता तथा अपने वनस्थली विद्यापीठ के गुरु और अपने स्वर्गीय दादा मोहन चंद्र जोशी को देती हैं।