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अल्मोड़ा संग्रहालय को पुरातात्विक व ऐतिहासिक कलाकृतियां वापस मिली

04:50 PM Aug 10, 2024 IST | CNE DESK
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✍️ बाद में मल्ला महल में बन रहे संग्रहालय में प्रदर्शित किया जाएगा

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सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा में स्थिल पंडित गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय की पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक महत्व की मूल कलाकृतियां संग्रहालय को वापस लौटा दी गई हैं, जो यहां पहुंच चुकी हैं। गौरतलब है​ कि गत वर्ष जुलाई माह में इन कलाकृतियों को "निनाद" प्रदर्शनी के लिए देहरादून भेजा गया था। अब मल्ला महल में संग्रहालय का निर्माण पूरा होने के बाद इन कला​कृतियों को वहां प्रदर्शित किया जाएगा।

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ज्ञात रहे कि जुलाई, 2023 में पण्डित गोविंद बल्लभ पन्त राजकीय संग्रहालय की कलाकृतियां हिमालयन सांस्कृतिक कला केंद्र, गढ़ीकैंट देहरादून में "निनाद" प्रदर्शनी के लिए भेजी गईं थीं। विगत एक वर्ष में इन कलाकृतियों को हिमालयन सांस्कृतिक, गढ़ी कैंट देहरादून में प्रदर्शित किया गया, ताकि कुमाऊं की कलाकृतियों के माध्यम से यहां के इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व की वृहद जानकारी स्थानीय लोगों, पर्यटकों, शोधार्थियों आदि को मिल सके। देश प्रदेश के समस्त पर्यटकों द्वारा इस प्रदर्शनी को खूब सराहा गया। साथ ही संग्रहालय की कलाकृतियों की खूब प्रशंसा की गई। तत्पश्चात संस्कृति विभाग, देहरादून द्वारा इन कलाकृतियों की अनुकृति निर्मित कर निर्माणाधीन संग्रहालय में प्रदर्शित किया गया। पंडित गोविंद बल्लभ पंत राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा के प्रभारी निदेशक डा. चंद्र सिंह चौहान ने बताया कि अब राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा की मूल प्रदर्शित कलाकृतियों को फिजिकल एवं सॉल्वेंट क्लीनिंग, क्रोमेटिक इंटीग्रेशन एवं अनुकृति निर्माण कर मूल रूप में वापस लौटा दी गई हैं।

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उन्होंने बताया कि इन सभी कलाकृतियों की पैकिंग म्यूजियम एवं कंजर्वेशन विशेषज्ञों की देखरेख में की गई। तत्पश्चात आज हिमालयन सांस्कृतिक केन्द्र देहरादून से इन कलाकृतियों को विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों एवं सशस्त्र बल के साथ पण्डित गोविंद बल्लभ पन्त राजकीय संग्रहालय अल्मोड़ा लाया गया। प्रभारी निदेशक श्री चौहान ने बताया कि निर्माणाधीन मल्ला महल संग्रहालय तैयार होने पर इन कृतियों को प्रदर्शित किया जायेगा। इस दौरान संग्रहालय की अन्य कलाकृतियों का भी अनुरक्षण एवं जीर्णोद्धार का कार्य प्रगति पर रहेगा। इस संपूर्ण कार्य का समन्वय जनमेजय तिवारी द्वारा किया गया। इस कार्य में शिवराज सिंह बिष्ट, रविन्द्र सिंह बिष्ट, दीपक कुमार, जोगा राम, पूरन सिंह, भारत वाल्मिकी आदि का सराहनीय सहयोग रहा है।

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