EducationHealthCovid-19Job Alert
Uttarakhand | Tehri GarhwalRudraprayagPithoragarhPauri GarhwalHaridwarChampawatChamoliUdham Singh NagarUttarkashi
AccidentCrimeUttar PradeshHome

अल्मोड़ा : नए साल पर विमलकोट शक्तिपीठ में पर्यटकों की उमड़ने भीड़

03:24 PM Dec 30, 2023 IST | CNE DESK
विमलकोट शक्तिपीठ
Advertisement

सीएनई रिपोर्टर धौलछीना/अल्मोड़ा। नव वर्ष के आगमन पर धौलछीना स्थित विमलकोट शक्तिपीठ भगवती मंदिर में हर वर्ष लगने वाले मेले की तैयारी पूरी हो गई है। सोमवार सुबह से ही बड़ी संख्या में भक्तों तथा पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।

विमलकोट शक्तिपीठ

मंदिर के पुजारी नवीन जोशी 'नित्यानंद' ने बताया कि नव वर्ष के प्रथम दिवस पर मंदिर में विशाल भंडारे का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही हल्द्वानी से भजन कीर्तन मंडली के स्टार गायकों की टीमें पहुंच रही हैं। इस अवसर पर भक्ति गीतों के नामी गायकों द्वारा भजनों की अमृत वर्षा की जाएगी।

Advertisement

मंदिर कमेटी के व्यवस्थापक दरबान सिंह रावत ने बताया कि मंदिर कमेटी द्वारा मेले के आयोजन की संपूर्ण तैयारी पूर्ण कर ली है। विमलकोट शक्तिपीठ परिसर में लगभग 3000 दर्शनार्थियों की बैठने की व्यवस्था की गई है। कमेटी की ओर से परिसर में भक्तों के बैठने वह भंडारे की की उचित व्यवस्था की गई है।

 पुलिस ने किए सुरक्षा के पर्याप्त इंतजाम

इस वर्ष नव वर्ष पर सोमवार को पिछले वर्ष से अधिक श्रद्धालुओं के पहुंचने की उम्मीद है। इधर थानाध्यक्ष सुशील कुमार ने बताया कि मेले में श्रद्धालुओं की सुरक्षा—व्यवस्था के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा। साथ ही महिला पुलिस की भी तैनाती की जाएगी।

Advertisement

मंदिर परिसर के चारों ओर अराजक तत्वों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरा लगाए गए हैं। धौलछीना से आने वाले यात्रियों के लिए मंदिर के पहले गेट से दूसरे गेट तक फोर व्हीलर वाहनों के लिए 15 मिनट के गैपिंग पर दोनों ओर से वन वे किया गया है। मंदिर जाने के लिए धौलछीना रोड को ठीक करवा लिया गया है। श्रद्धालुओं के लिए 8 बजे से देर रात्रि तक मंदिर दर्शन के लिए खोला जाएगा।

विमलकोट शक्तिपीठ : यह भी जानिए

Advertisement

अल्मोड़ा जनपद अंतर्गत धौलछीना के विमलकोट मंदिर को पहाड़ में माता के शक्तिपीठों में गिना जाता है। इन देवी माता को चितई के ग्वल देवता की तरह ही न्याय की देवी माना जाता है। यह शक्तिपीठ 1515 ईंसवी का माना जाता है। कहा जाता है कि यह चंदकालीन मंदिर है। जब राजाओं के न्याय से कोई संतुष्ट नहीं होता था तो इसी मंदिर में न्याय की गुहार लगाता था। पहाड़ की चोटी पर स्थित यह मंदिर वन क्षेत्र से घिरा है। यहां पहुंच प्रकृति के अद्भुत नजारों को दूर—दूर तक देखा जा सकता है। इस चोटी से नंदादेवी, त्रिशूल, चौखंबा, नीलकंठ, चौकड़ी, कसारदेवी, वृद्ध जागेश्वर, बिंसर, देवीधुरा को भी देख सकते हैं। यही कारण है कि यहां के लिए पर्यटक बड़ी संख्या में आकर्षित होते हैं।

Related News