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25 जुलाई : आज ही के दिन हुआ विश्व की आईवीएफ शिशु लुइस ब्राउन का जन्‍म

07:41 AM Jul 25, 2023 IST | CNE DESK
आइवीएफ शिशु लुइस ब्राउन
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विस्तार से जानिए, पहली टेस्‍ट ट्यूब शिशु लुइस ब्राउन के बारे में

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के विकास ने मां बनने के सपनों को साकार करने में महिलाओं की मदद की है। इंविट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) उन्हें असंभव से संभव बना दिया है। इस तकनीक के माध्यम से पहली बार 1978 में लॉडी रॉबर्ट्स ने गर्भधारण करने में सफलता हासिल की थी। और वर्तमान में, विश्व भर में इस तकनीक के माध्यम से नए जीवनों का जन्म हो रहा है। इस लेख में, हम दुनिया के पहले आइवीएफ शिशु लुइस ब्राउन के जन्म के बारे में चर्चा करेंगे।

लुइस ब्राउन का जन्म एक ऐतिहासिक क्षण

जीवन के असंख्य सफलता और संघर्ष के बाद, 25 जुलाई 1978 को लंदन के एक अस्पताल में लुइस ब्राउन (Louis Brown) का जन्म हुआ था। उनकी मां लेस्ली ब्राउन और पिता जॉन ब्राउन को इस खास पल की प्रतीक्षा थी, क्योंकि वे दुनिया के पहले आइवीएफ शिशु थे। इस महान उपलब्धि ने मानवता के लिए एक नया मोड़ खोल दिया था।

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इंविट्रो फर्टिलाइजेशन का सफलता सफर

लुइस ब्राउन का जन्म होना सिर्फ एक इंसानी अद्भुत के साथ एक परिवार के लिए ही नहीं था, बल्कि इससे चिकित्सा विज्ञान में भी एक बड़ा कदम था। इंविट्रो फर्टिलाइजेशन एक ऐसी तकनीक है जिसमें एग्ज़ और स्पर्म को पेट्री डिश में मिलाया जाता है, और फिर उन बुनियादी जीवनुओं को एक मां के गर्भ में प्रत्यारोपित किया जाता है। लुइस ब्राउन के जन्म से पहले, यह तकनीक कई बार विफल रही थी, लेकिन इससे निराश न होकर वैज्ञानिक ने लगातार प्रयास किए। उसके सफलता से एक नया युग आरम्भ हुआ जिसने बेहद कठिनाईयों का सामना किया।

आईवीएफ के महत्वपूर्ण लाभ

आइवीएफ ने समाज में कई सकारात्मक परिवर्तन किए हैं और इसके कुछ महत्वपूर्ण लाभ निम्नलिखित हैं:

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संतान सुख

आईवीएफ के आविष्कार से पहले, जिन परिवारों को संतान की प्राप्ति में समस्या होती थी, वे निराश होते थे। आइवीएफ के आने से इन परिवारों को संतान सुख का आनंद मिला।

नारी शक्ति की मिसाल

आइवीएफ के सामर्थ्य ने मां बनने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को नए संभावनाओं के साथ समृद्ध किया है। यह उन्हें नारी शक्ति की मिसाल बनाता है जो अपने सपनों को पूरा करने के लिए संघर्ष करती हैं।

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वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा

आईवीएफ के सफलता से वैज्ञानिक समुदाय को नए अवसरों का सामना करना पड़ा है। वे अब और उत्साह से चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में अध्ययन और अनुसंधान कर रहे हैं।

विधिवत रूप से बच्चे पैदा करने के मामले में चुनौतियां

इंविट्रो फर्टिलाइजेशन एक चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें न केवल माता-पिता को बल्कि चिकित्सा विज्ञानियों को भी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां निम्नलिखित हैं:

सफलता दर

आइवीएफ की सफलता दर विभिन्न कारणों के कारण अलग-अलग मामलों में अलग-अलग होती है। यह एक अच्छी चिकित्सा संस्थान और अनुभवी विशेषज्ञों की आवश्यकता को बनाए रखता है।

शारीरिक और आर्थिक तनाव

आईवीएफ की प्रक्रिया मां-बच्चे के शारीरिक और आर्थिक तनाव को बढ़ा सकती है। इसके लिए मां-बच्चे को तैयार रहने के लिए परिपूर्ण समर्थन और देखभाल की आवश्यकता होती है।

अन्तिम विचार

लुइस ब्राउन के जन्म से आज तक, आइवीएफ ने लाखों युवा जीवनों को दुनिया में आने का मौका दिया है। यह न केवल चिकित्सा विज्ञान की अद्भुतता को दर्शाता है, बल्कि मानवता के लिए नए सपनों को साकार करने में भी मदद करता है। यह विज्ञान, जुनून और मेहनत का शानदार संगम है जो समृद्धि की नई कहानियों को लिखता है।

अधिक जानकारी के लिए इस लेख के आखिरी भाग में दिए गए अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों का परीक्षण करें।

अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1- आईवीएफ प्रक्रिया कितने वक्ता लगती है?
आइवीएफ प्रक्रिया आमतौर पर 4 से 6 हफ्तों का समय लेती है। हालांकि, इस समय में व्यक्तिगत परिस्थितियों पर भी निर्भर कर सकता है।

2- आईवीएफ के लिए उम्र सीमा क्या है?
आइवीएफ के लिए महिलाओं की आयु सीमा आमतौर पर 35 से 40 वर्ष होती है। यह उम्र के साथ बढ़ सकती या घट सकती है, लेकिन उम्र के साथ आइवीएफ के सफलता दर में भी परिवर्तन हो सकता है।

3- आईवीएफ के लिए कितनी बार प्रयास किया जा सकता है?
आइवीएफ के लिए कितने बार प्रयास किए जा सकते हैं यह मामले के आधार पर अलग-अलग होता है। हालांकि, आमतौर पर तीन से चार प्रयास किए जा सकते हैं।

4- आईवीएफ के बाद समय कितने दिन तक आराम करना चाहिए?
आइवीएफ के बाद महिलाओं को आमतौर पर कुछ दिनों तक आराम करना चाहिए, जिससे उनके शरीर को प्राकृतिक रूप से ठीक होने में मदद मिलती है। चिकित्सक से सलाह लेना सुरक्षित होता है।

5- आईवीएफ के बाद गर्भधारण में सफलता दर क्या होती है?
आइवीएफ के बाद गर्भधारण में सफलता दर विभिन्न कारणों पर निर्भर करती है। यहां उपलब्धि दर अलग-अलग योग्यता के स्तर पर अलग-अलग हो सकती है।

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