Lok Sabha Elections 2024: CM Dhami ने कुमाऊं के दो सीटों पर माहौल बनाने के लिए की मेहनत, बनाई यह रणनीति
Lok Sabha Elections 2024: राज्य सरकार ने केदारखंड की तर्ज पर मानसखंड को भी विकसित करने की पहल शुरू कर दी है. जिस प्रकार चारधाम में सभी प्रकार की सुविधाएं बढ़ाई गई हैं, उसी प्रकार मानसखंड में भी मंदिरों और आध्यात्मिक स्थलों को संवारने की योजना बनाई गई है।
इसमें केंद्र सरकार से भी मदद मिल रही है. इससे न केवल क्षेत्र में धार्मिक पर्यटन का विस्तार होगा बल्कि आर्थिक समृद्धि के द्वार भी खुलेंगे। यही कारण है कि मिशन-2024 को हासिल करने के लिए मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami भी तमाम विकास कार्यों के साथ-साथ मानसखंड के इस मंदिर माला मिशन के जरिए लोगों के मन में जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं. इस मुद्दे को भुनाने के लिए पार्टी स्तर पर खास रणनीति भी बनाई गई है.
मानसखंड मंदिर माला मिशन योजना डेढ़ साल पहले शुरू की गई थी। इसमें कुमाऊं के करीब 26 मंदिरों को शामिल करने की योजना है। पहले चरण में, अल्मोडा में जागेश्वर महादेव मंदिर, चितई गोलू मंदिर, सूर्यदेव मंदिर कटारमल, कसार देवी मंदिर, नंदा देवी मंदिर, पिथौरागढ़ में पाताल भुवनेश्वर मंदिर, हाट कालिका मंदिर, बागेश्वर में बागनाथ मंदिर, चंपावत में बैजनाथ मंदिर, मानसखंड मंदिर माला उद्देश्य। पाताल रुद्रेश्वर, मां पूर्णागिरि मंदिर, मां बाराही देवी मंदिर, बालेश्वर मंदिर, नैनीताल में नैना देवी मंदिर, कैंचीधाम मंदिर और उधम सिंह नगर में चैतीधाम मंदिर शामिल हैं।
पहले चरण में PM Narendra Modi ने हाटकालिका, नैना देवी और जागेश्वर धाम में 30 करोड़ रुपये की योजना का शिलान्यास भी किया था. इससे भी उम्मीद जगी. इतना ही नहीं PM Narendra Modi कैलाश और जागेश्वर धाम जैसे सीमावर्ती इलाकों में पहुंचे. उनके दौरे को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली. इसके बाद इन धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं की संख्या भी कई गुना बढ़ गई है. CM इन धार्मिक और आध्यात्मिक पर्यटन स्थलों की वजह से मानसखंड के मन में एक खास जगह भी बनाना चाहते हैं.
विभिन्न आयोजनों के मंच से लेकर CM से लेकर जनप्रतिनिधि और प्रत्याशी भी इस मुद्दे को भुनाने की तैयारी में हैं. हालाँकि, यह मुद्दा लोगों की आस्था और विश्वास से भी गहराई से जुड़ा हुआ है। सरकार की मंशा इस आस्था और विश्वास को मजबूत करने के साथ ही लोगों की आर्थिकी में सुधार लाने की रही है। अब देखना यह है कि यह मुद्दा कुमाऊं की जनता पर कितना असर डालता है.