For the best experience, open
https://m.creativenewsexpress.com
on your mobile browser.
Advertisement

देखें वीडियो : प्रधानमंत्री मोदी ने गहरे समुद्र में की साहसिक स्कूबा डाइविंग

10:09 PM Feb 25, 2024 IST | CNE DESK
देखें वीडियो   प्रधानमंत्री मोदी ने गहरे समुद्र में की साहसिक स्कूबा डाइविंग
Advertisement

देवभूमि द्वारका | प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देवभूमि द्वारका में साहसिक स्कूबा डाइविंग कर गहरे समुद्र में डूबी पौराणिक नगरी द्वारका के दर्शन कर पुरातन भव्यता एवं दिव्यता का अनुभव किया।

मोदी ने साहसिक मानी जाने वाली स्कूबा डाइविंग कर गहरे समुद्र में भगवान श्री कृष्ण की प्राचीन नगरी द्वारका के दर्शन किए। इससे पहले उन्होंने लक्षद्वीप में भी साहसिक स्कूबा डाइविंग की थी। उन्होंने इस अवसर पर कहा, “पुरातत्वीय जानकारों ने द्वारका नगरी पर अनेक शोध- अनुसंधान किए हैं जिसके कारण मेरी प्राचीन द्वारका दर्शन करने तथा उसे देखने की वर्षों से इच्छा थी। मेरा यह सपना आज पूरा हुआ है।”

Advertisement

प्रधानमंत्री ने कहा, “आज जब मुझे भगवान श्री कृष्ण की पावन भूमि पर आने का अवसर मिला, तब मैंने समुद्र में रही प्राचीन द्वारका नगरी के दर्शन कर पुरातन भव्यता एवं दिव्यता का अनुभव किया। मैं भगवान श्री कृष्ण का स्मरण कर प्राचीन द्वारका नगरी को मोरपंख अर्पित कर गौरव का अनुभव कर रहा हूँ।”

उन्होंने कहा, “इस दर्शन के दौरान मेरी आँखों के समक्ष 21वीं शताब्दी में भारत के वैभव की तस्वीर भी घूम रही थी। प्राचीन द्वारका नगरी के दर्शन कर विकसित भारत का मेरा संकल्प और मजबूत हुआ है। सौराष्ट्र में अरब सागर के तट पर आस्था एवं पर्यटन में एक और मोती जुड़ा है। पर्यटक स्कूबा डाइविंग से मूल द्वारका के दर्शन कर सकें इसके लिए गुजरात सरकार कटिबद्ध है।”

सौराष्ट्र के सागर के तट पर जब सोमनाथ, माधवपुर, पोरबंदर, द्वारका, शिवराजपुर बीच, नागेश्वर तथा सुदर्शन सेतु से पर्यटन विभाग को बढ़ावा मिल रहा है तब प्रधानमंत्री ने द्वारका के गहरे समुद्र में साहसिक स्कूबा डाइविंग की और कहा कि शास्त्रों में भी प्राचीन द्वारका का उल्लेख है। भगवान विश्वकर्मा ने द्वारका नगरी का निर्माण किया था, जो भारत में श्रेष्ठ नगर का उत्तम उदाहरण है।

भगवान श्री कृष्ण की कर्मभूमि द्वारकाधाम को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुए श्री मोदी ने जोड़ा कि भगवान श्री कृष्ण द्वारकाधीश स्वरूप में यहां विराजमान हैं। यहां जो होता है, वह द्वारकाधीश की इच्छा से होता है। आदि शंकराचार्य ने यहां शारदा पीठ की स्थापना की थी। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रुक्मणि मंदिर यहां के आस्था केन्द्र हैं।

Advertisement


Advertisement
×