EducationHealthCovid-19Job Alert
Uttarakhand | Tehri GarhwalRudraprayagPithoragarhPauri GarhwalHaridwarChampawatChamoliUdham Singh NagarUttarkashi
AccidentCrimeUttar PradeshHome

राज्य सरकार अपनी खनिज युक्त भूमि पर केंद्र से वसूल सकती है पिछला कर बकाया - सुप्रीम कोर्ट

02:52 PM Aug 14, 2024 IST | CNE DESK
Supreme Court
Advertisement

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने खनिज समृद्ध राज्यों के लिए वित्तीय राहत वाला फैसला सुनाते हुए उन्हें अपनी खनिज युक्त भूमि पर केंद्र सरकार और पट्टा धारकों से एक अप्रैल 2005 से बकाया रॉयल्टी और कर वसूलने की बुधवार को अनुमति दे दी।

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय, न्यायमूर्ति अभय एस ओका, न्यायमूर्ति बी वी नागरत्ना, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला, न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान, न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की संविधान पीठ ने यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। नौ सदस्यीय इस पीठ ने हालांकि कहा कि इस तरह का बकाया आने वाले 12 वर्षों में चरणबद्ध तरीके से वसूला जा सकता है। साथ ही, पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य पिछली मांगों पर जुर्माना या कर नहीं लगा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों के पास खनिज युक्त भूमि पर कर लगाने की विधायी क्षमता बताने वाला उसका 25 जुलाई 2024 का फैसला पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगा।

Advertisement

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने 31 जुलाई को इस मुद्दे पर अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था कि क्या 1989 से खदानों और खनिज युक्त भूमि पर केंद्र सरकार की ओर से लगाई गई रॉयल्टी राज्यों को वापस की जाएगी। केंद्र सरकार ने खनिज समृद्ध राज्यों की ओर से 1989 से खदानों और खनिज युक्त भूमि पर लगाई गई रॉयल्टी वापस करने की मांग वाली याचिका का बार- बार विरोध किया था। शीर्ष अदालत ने राज्यों के कर लगाने के अधिकार को बरकरार रखते हुए 25 जुलाई को कहा था कि खनन पट्टाधारकों की ओर से केंद्र सरकार को दी जाने वाली रॉयल्टी कोई कर नहीं है। न्यायालय ने कहा था कि खान और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम 1957 राज्यों के कर लगाने के अधिकार को सीमित नहीं करता है।

न्यायमूर्ति नागरत्ना ने हालांकि, बहुमत के विचार से असहमति जताते हुए कहा था कि रॉयल्टी कर की ही प्रकृति की है। उनका मानना ​​था कि राज्यों को कर लगाने की अनुमति देने से संघीय व्यवस्था हो जाएगी और खनन गतिविधियों में मंदी आएगी। इससे राज्यों में खनन पट्टे हासिल करने के लिए अस्वस्थ प्रतिस्पर्धा भी बढ़ेगी।

Advertisement

Related News