अल्मोड़ा: शहीद राज्य आंदोलनकारियों को वाहिनी ने दी श्रद्धांजलि
✍️ खटीमा, मसूरी व मुजफ्फरनगर कांड की बरसी पर किया याद
✍️ आज तक राज्य की मूल अवधारणा पूरी नहीं होना अफसोसजनक
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: खटीमा व मंसूरी तथा मुजफ्फरनगर कांड की बरसी पर आज आयोजित कार्यक्रम में उत्तराखंड लोक वाहिनी ने शहीद हुए राज्य आंदोलनकारियों को श्रद्धांजलि दी और उत्तराखंड के हालातों पर विचार रखे। इस बात को अफसोसजनक बताया कि शहादत के इतने वर्षों के बाद भी उत्तराखंड राज्य की मूल अवधारणा पूरी नहीं हो सकी।
इस मौके पर वाहनी के वरिष्ठ नेता एड. जगत रौतेला ने कहा कि सन् 1994 में राज्य आंदोलन के दौरान एक व दो सितंबर को खटीमा व मंसूरी में राज्य तथा मुजफ्फरनगर में आंदोलनकारियों पर तत्कालीन सरकार ने दमन चक्र चलाया। जिसमें कई आंदोलनकारियों को प्राण गंवाने पड़े। उन्होंने कहा की शहादत के इतने वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी उत्तराखंड राज्य की मूल अवधारणा पूर्ण नहीं हुई है। न तो पहाड़ की विशेष उन्नति हो सकी और न ही उत्तराखंड की स्थाई राजधानी शहीदों के सपनों के अनुरुप गैरसैंण बन पाई। उन्होंने कहा कि जब तक उत्तराखंड की राजधानी गैरसैण नहीं बन जाती, तब तक राज्य आंदोलन के प्रमुख उद्देश्य अपूर्ण ही रहेंगे। उन्होंने कहा कि आज उत्तराखंड से तेजी से पलायन हो रहा है, रोजगार के अवसर खुलने के बावजूद और भी कम होते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि हालात ऐसे ही रहे, तो एक और जनांदोलन होने की प्रबल सभावना बढ़ जायेगी। उन्होंने कहा कि राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों के लोग खुद को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। इस मौके पर वाहिनी के महासचिव पूरन चन्द्र तिवारी, उपाध्यक्ष जंग बहादुर थापा, रेवती बिष्ट, अजयमित्र सिंह बिष्ट, दयाकृष्ण काण्डपाल, हारिश मुहम्मद व अजय मेहता आदि ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी।