अब तक धरी रह गई उत्तराखंड के समग्र विकास की चाह: अतुल सती
✍️ अल्मोड़ा में जननायक डा. शमशेर सिंह बिष्ट की छठी पुण्यतिथि समारोह
✍️ मुख्य वक्ता ने अपने वक्तव्य में उकेरा राज्य के मौजूदा हालातों का चित्र
सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: समग्र विकास की चाह को लेकर उत्तराखंड राज्य मांगा और मिला, लेकिन राज्य गठन के लगभग ढाई दशक बाद भी स्थिति समग्र विकास की चाह के विपरीत हैं। पहाड़ में जनकेंद्रित योजनाएं अस्तित्व में नहीं आ सकी। जो चिंताजनक है। यह बात आज पर्यावरणविद् अतुल सती ने कही। श्री सती यहां आयोजित जननायक डा. शमशेर सिंह बिष्ट की छठी पुण्यतिथि पर आयोजित शमशेर स्मृति समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इस मौके पर कई वक्ताओं ने अपने विचार रखते हुए उत्तराखंड के मौजूदा हालातों पर ध्यान खींचा और चिंता जताई।
यहां सेवॉय होटल सभागार में शमशेर स्मृति समारोह आयोजन समिति द्वारा आयोजित पुण्यतिथि समारोह में सर्वप्रथम मौजूद अतिथियों व अन्य लोगों ने पुष्पांजलि देकर डा. शमशेर सिंह बिष्ट का भावपूर्ण स्मरण किया। इसके बाद शमशेर स्मृति समारोह का शुभारम्भ जन गीतों से हुआ। तत्पश्चात ‘उत्तराखंड में विकास की नीतियां, दरकते पहाड़, पलायन और अनियंत्रित पर्यटन/तीर्थाटन’ विषयक संगोष्ठी में बतौर मुख्य वक्ता पर्यावरण एवं भू—स्खलन के मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे जोशीमठ से आए पर्यावरणविद् मुख्य वक्ता अतुल सती ने कहा कि स्व. डा. शमशेर सिंह बिष्ट उत्तराखण्ड का समग्र विकास की चिंता लिये आजीवन संघर्ष करते रहे, लेकिन राज्य बनने के बाद नीतियां पहाड़ के जरुरत के मुताबिक नहीं बन सकी। उन्होंने कहा कि पहाड़ मे जन केन्द्रित योजनाएं अस्तित्व में आए, इसी के लिए राज्य आन्दोलन चला, परंतु आज स्थिति इसके उलट है।उन्होंने हालातों पर ध्यान खींचते हुए कहा कि वर्तमान में बन रही परियोजनाओं के दुष्प्रभाव सभी को झेलने पड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी में दबे मजदूरों को बाहर निकालने की प्रक्रिया सभी ने देखी। श्रीनगर में रेलवे स्टेशन बन रहा है, जो कभी भी बह सकता है। पहाड़ में बन रही सुरंगें पहाड़ो को हिला रही हैं। सड़क चौड़ीकरण का दुष्प्रभाव जगह—जगह भूस्खलन के रुप में फलीभूत हो रहा है। उन्होंने कहा कि आल वेदर रोडों 146 स्थानों पर भूस्खलन हो रहा है।
श्री सती ने कहा कि गढ़वाल के धामों में एक माह में तीस लाख यात्री पहुंचे और उसके बाद यात्रा बाधित है। बद्रीनाथ व केदारनाथ मे आजकल 15—20 हजार लोग पहुंच रहे हैं। जिन्हें टिकाने की व्यवस्था तक नहीं है। रिवर फ्रंट बन रहे हैं, इससे नदियों के स्वभाविक बहाव प्रभावित हो रहे हैं। जिससे अव्यवस्थाएं बढ़ रही है। चारधाम यात्राओं में कोई स्पेशलिस्ट नहीं है। यात्रा रुट पर स्वास्थ्य सुविधाएं तंदरुस्त नहीं हैं। उन्होंने तमाम चिंताजनक हालातों का चित्र अपने वक्तव्य में उकेरा। विधायक मनोज तिवारी ने स्व. शमशेर सिंह बिष्ट को याद करते हुए उनसे जुड़े कई संस्मरणों को साझा किया। उन्होंने कहा कि एक जुझारु छात्र नेता के रुप में अपने जीवन का शुभारम्भ किया और हिमालय, पहाड़ व जन सरोकारों के लिए आजीवन संघर्ष करते रहे। उन्होंने कहा कि स्व. शमशेर सिंह बिष्ट उच्च सोच वाले जननायक और लोगों के मार्गदर्शक थे, जिन्होंने उत्तराखण्ड के जनसंघषों को गति दी। उन्होंने कहा कि उनकी सोच के अनुसार मिलकर काम करना ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
निवर्तमान पालिकाध्यक्ष प्रकाश चन्द्र जोशी ने कहा कि जनहित के मामलों सभी को एकजुट होकर संघर्ष की जरुरत है, किंतु आज इसके उलट सभी दलगत राजनीति में फंस जाते हैं, चाहे मुद्दा जनहित का हो या कोई और। उन्होंने जिला विकास प्राधिकरण के मुद्दे को लेकर चल रहा आंदोलन में आम सहभागिता नहीं होने का उदाहरण भी दिया। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा सभी से जुड़ा है मगर सहभागिता नहीं। उन्होंने कहा कि जनहित के मुद्दों में दलगत राजनीति होना दुर्भाग्यपूर्ण है। उत्तराखंड लोक वाहिनी के एड. जगत रौतेला ने वाहिनी के जनान्दोलनों एवं डा. शमशेर सिंह बिष्ट के जीवन पर प्रकाश डाला। इस मौके पर उपपा के पीसी तिवारी, उलोवा के पूरन चंद्र तिवारी समेत कई लोगों ने अपने विचार रखे। कार्यक्रम की अध्यक्षता रेवती बिष्ट तथा संचालन दयाकृष्ण काण्डपाल ने किया। अंत में अजयमित्र सिंह बिष्ट ने सभी का आभार जताया। इस अवसर पर जंगबहादुर थापा, विशन दत्त जोशी, अजय मेहता, भावना जोशी, आशीष जोशी, प्रो. वीडीएस नेगी, हर्षिता जोशी, शिवदत्त पाण्डे, संजय पाण्डे, एड. जमन सिंह बिष्ट, दीवान धपोला, डा. हयात सिंह रावत समेत तमाम लोग मौजूद रहे।