CM धामी को सौंपी UCC नियमावली, जल्द लागू होगा यूनिफॉर्म सिविल कोड
देहरादून | उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी UCC नियमावली रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। संभावना है कि 9 नवंबर को स्थापना दिवस पर यूनिफॉर्म सिविल कोड प्रदेश में लागू हो सकता है।
मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि जल्द ही UCC नियमावली को कैबिनेट मीटिंग में लाया जाएगा। मंत्रिमंडल की मुहर के बाद UCC प्रदेश में लागू कर दी जाएगी। उन्होंने कहा-विधानसभा चुनाव 2022 से पहले प्रदेश में UCC लागू करने की घोषणा की गई थी। जनता ने भारतीय जनता पार्टी की प्रदेश में सरकार बनाई। इसके बाद पहले ही कैबिनेट में यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट बनाने के लिए कमेटी का गठन किया गया। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड देश का पहला राज्य बनने जा रहा है जहां यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू कर दिया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने इसके लिए ड्राफ्टिंग कमेटी और रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमिटी का भी आभार व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सभी एक्सपर्ट ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बहुत अच्छा काम किया है। इसमें कई ऐसे प्रावधान होंगे जिनमें महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम किया। इस दौरान रूल्स मेकिंग एंड इंप्लीमेंटेशन कमेटी के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह, सदस्य मनु गौड़, सुलेखा डंगवाल, मुख्य सचिव राधा रतूड़ी समेत कई अधिकारी मौजूद रहे।
9 नवंबर को यूसीसी लागू करने की तैयारी
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में घोषणा की थी कि सरकार 9 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस पर यूसीसी लागू करना चाहती है। ऐसे में अब समीति के फाइनल नियमावली का ड्राफ्ट सौंपने के बाद पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि यूसीसी उत्तराखंड में 9 नवंबर को लागू हो जाएगा।
UCC को लेकर कब क्या हुआ ?
>> 12 फरवरी 2022 को विस चुनाव के दौरान सीएम धामी ने यूसीसी की घोषणा की।
>> मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली कैबिनेट बैठक में यूसीसी लाए जाने पर फैसला।
>> मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में विशेषज्ञ समिति बनी।
>> समिति ने 20 लाख सुझाव ऑफलाइन और ऑनलाइन प्राप्त किए।
>> 2.50 लाख लोगों से समिति ने सीधा संवाद किया।
>> 02 फरवरी 2024 को विशेषज्ञ समिति ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपी।
>> 06 फरवरी को विधानसभा में यूसीसी विधेयक पेश हुआ।
>> 07 फरवरी को विधेयक विधानसभा से पारित हुआ।
>> राजभवन ने विधेयक को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति को भेजा।
>> 11 मार्च को राष्ट्रपति ने यूसीसी विधेयक को अपनी मंजूरी दी।
>> 12 मार्च 2024 को यूसीसी का गजट नोटिफिकेशन जारी हुआ
>> यूसीसी कानून के नियम बनाने के लिए एक समिति का गठन।
>> नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति ने हिंदी और अंग्रेजी दोनों संस्करणों में आज 18 अक्तूबर 2024 को राज्य सरकार को नियमावली सौंपी।
UCC के मुख्य बिंदु ---
>> राज्य सरकार ने साल 2022 में उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता का ड्राफ्ट तैयार करने के लिए विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया।
>> विशेषज्ञ समिति ने तैयार किये गये ड्राफ्ट को दिनांक 7 फरवरी, 2024 को राज्य विधानसभा में पारित किया गया।
>> उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता, विधेयक 2024 पर राष्ट्रपति की सहमति के बाद 12 मार्च, 2024 को समान नागरिक संहिता उत्तराखण्ड, 2024 अधिनियम पारित हुआ।
>> उत्तराखण्ड समान नागरिक संहिता विधेयक 2024 के नियमावली और क्रियान्वयन के लिए पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति गठित की गई है।
>> राज्य सरकार ने समान नागरिक संहिता अधिनियम को राज्य में प्रभावी रूप से लागू किया जाना प्रस्तावित है।
>> नियमावली एवं क्रियान्वयन समिति द्वारा नियमावली हिन्दी और अग्रेंजी दोनों संस्करणों में आज दिनांक 18 अक्टूबर, 2024 को राज्य सरकार को हस्तगत की जा रही है।
>> इस नियमावली में मुख्य रूप से चार भाग है। जिसमें विवाह एवं विवाह-विच्छेद लिव-इन-रिलेशनशिप, जन्म एवं मृत्य पंजीकरण तथा उत्तराधिकार सम्बन्धी नियमों के पंजीकरण सम्बन्धी प्रक्रियाएं उल्लिखित है।
>> जन सामान्य की सुलभता के दृष्टिगत इस हेतु एक पोर्टल तथा Mobile App भी तैयार किया गया है, जिससे कि पंजीकरण, अपील आदि की समस्त सुविधाएं जन सामान्य को ऑनलाईन माध्यम से सुलभ हो सके।
यूसीसी लागू होगा तो यह आएंगे बदलाव
>> सभी धर्म-समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून।
>> 26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती के लिए तलाक व शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
>> ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर पंजीकरण की सुविधा।
>> पंजीकरण न कराने पर अधिकतम 25,000 रुपये का जुर्माना।
>> पंजीकरण नहीं कराने वाले सरकारी सुविधाओं के लाभ से भी वंचित रहेंगे।
>> विवाह के लिए लड़के की न्यूनतम आयु 21 और लड़की की 18 वर्ष होगी।
>> महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
>> हलाला और इद्दत जैसी प्रथा खत्म होगी। महिला का दोबारा विवाह करने की किसी भी तरह की शर्तों पर रोक होगी।
>> कोई बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो दूसरे व्यक्ति को उस व्यक्ति से तलाक लेने व गुजारा भत्ता लेने का अधिकार होगा।
>> एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह करना पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
>> पति-पत्नी के तलाक या घरेलू झगड़े के समय पांच वर्ष तक के बच्चे की कस्टडी उसकी माता के पास रहेगी।
>> संपत्ति में बेटा और बेटी को बराबर अधिकार होंगे।
>> जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेद नहीं होगा।
>> नाजायज बच्चों को भी उस दंपती की जैविक संतान माना जाएगा।
>> गोद लिए, सरगोसी से असिस्टेड री प्रोडेक्टिव टेक्नोलॉजी से जन्मे बच्चे जैविक संतान होंगे।
>> किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
>> कोई व्यक्ति किसी भी व्यक्ति को वसीयत से अपनी संपत्ति दे सकता है।
>> लिव इन में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
>> युगल पंजीकरण रसीद से ही किराया पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
>> लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
>> लिव इन में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद का भी पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
>> अनिवार्य पंजीकरण न कराने पर छह माह के कारावास या 25 हजार जुर्माना या दोनों का प्रावधान होंगे।
देहरादून : सैलून में नाई ने कर दी युवती से छेड़छाड़, लोगों का भड़का गुस्सा
रेलवे की एडवांस बुकिंग करने वालों के लिए काम की खबर, टिकट बुक करने के नियम बदले