उत्तराखंड सुरंग हादसा: जहां मशीनें हुई फेल, वहां रैट माइनर्स ने बनाई राह
Rat Miners : उत्तराखंड के उत्तरकाशी में स्थित निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने में रैट माइनर्स ने कमाल कर दिया है। जहां देश—विदेश की महंगी व भारी—भरकम मशीनें फेल हो गई, वहीं कुछ लोगों के ग्रुप ने गजब का काम किया है।
उल्लेखनीय है कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में फंसे इन मजदूरों को बचाने के लिए 13 नवंबर से रेस्क्यू ऑपरेशन चला। जिसमें रैट माइनर्स ने अपनी अनोखी कला का प्रदर्शन किया।
Rat Miners और उसका महत्व:
रैट होल माइनिंग में मजदूरों ने चूहे की तरह खुदाई की जाती है, जिसमें वे एक छेद में घुसकर खुदाई करते हैं। इस प्रक्रिया में पहले पतले से छेद से पहाड़ के किनारे खुदाई शुरू होती है और फिर धीरे-धीरे छोटी हैंड ड्रिलिंग मशीन से ड्रिल की जाती है। ड्रिलिंग के बाद, मजदूरों द्वारा मलबे को हाथ से बाहर निकाला जाता है।
रैट माइनर्स का योगदान:
सिल्कयारा सुरंग बचाव अभियान में रैट माइनर्स ने 58 मीटर की मैनुअल ड्रिलिंग कर बचाव कार्रवाई में शामिल होते हैं। इस अद्वितीय तकनीक से वे मजदूरों के निकालने में सफल रहे हैं।
होल माइनिंग का इस्तेमाल:
रैट होल माइनिंग का इस्तेमाल भारत में कोयले की खुदाई में होता रहा है। झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में इसका अनुप्रयोग किया जा रहा है, लेकिन इस प्रक्रिया का अधिकतम खतरा होता है और इसलिए कई बार इसे बैन भी किया गया है।
महत्वपूर्ण भूमिका:
रैट माइनर्स की टीम ने उत्तराखंड सुरंग हादसा में अपनी अद्वितीय कला का प्रदर्शन कर मजदूरों को बचाने में सक्षमता दिखाई है। इसमें उन्होंने 800 मिलीमीटर के पाइप में घुसकर खुदाई की और सफलता प्राप्त की है।
माइनर्स का अनुभव:
सदस्यों ने बताया कि उन्हें टनल में जाने में कोई डर नहीं होता और वे इस प्रक्रिया को 600 मिमी के पाइप में भी अपनाते हैं। इन्होंने बताया कि वे सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने के लिए पहले से तत्पर थे। जब बचाव का आदेश आया तो उन्हें काफी खुशी हुई। निश्चित रूप से उत्तराखंड सुरंग हादसे में रैट माइनर्स की टीम ने मजदूरों के निकालने में नायाब योगदान दिया है, जो उन्हें हीरो बनाता है।
मानवीय योद्धा रैट माइनर्स
दिल्ली की रॉक वेल इंटरप्राइजेस कंपनी में काम करने वाले रैट माइनर्स की दृढ संकल्पना ने उन्हें एक अद्वितीय कारनामे की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया।
कंपनी मालिक वकील हसन के अनुसार दो युवक पाइप के अंदर बैठकर मिट्टी काटते थे। वहीं, चार से पांच लड़के बाहर रहकर मलबा बाहर खींचते थे। इस दल में फिरोज कुरैशी, मुन्ना, नसीम, मोनू, राशिद, इरशाद, नासिर आदि शामिल रहे।
दृढ संघर्ष: अज्ञात की गहराईयों में
रैट माइनर्स ने गहरी रातों में, मुश्किल समयों में अपनी आत्मविश्वासयुक्त उम्मीदों के साथ, 800 मिमी के पाइपों के साथ मुकाबला किया।
सामर्थ्य का प्रदर्शन: मैनुअल ड्रिलिंग का कमाल
मंगलवार की शाम से लेकर 6 बजे तक, रैट माइनर्स ने मैन्युअल ड्रिलिंग के माध्यम से सुरंग में फंसे मजदूरों को बचाने का कार्य पूरा किया। उनका समर्थन और साहस ने सभी आंधी-तूफानों का सामना किया।
टीम वर्क: सफलता का रहस्य
इस दल में शामिल 12 सदस्यों ने एक संघर्ष में एक साथ काम करके एक अनूठे तंत्र को साकार किया, जिससे सभी मजदूरों को सुरंग से बाहर निकाला गया।
अमूर्त ट्रॉली: सुरक्षित निकालने का रास्ता
दिल्ली के बहादुर सुरेंद्र राजपूत ने अपनी ट्रॉली के माध्यम से मलबे को सुरक्षित बाहर निकालने में अपना योगदान दिया। उनकी योजना और समर्थन ने समस्त कार्य में एक नई दिशा प्रदान की।
शौर्यपूर्ण अभियान: रैट माइनर्स का साहस
17 दिनों के बचाव अभियान में, रैट माइनर्स ने अपनी अद्वितीय कला से अमेरिकी ऑगर मशीन को परास्त किया और मलबे को सुरक्षित बाहर निकाला।
समाप्तित तक: मानवीयता की जीत
जहां मशीन हार गई, वहां मानवीय पंजे ने 17वें दिन ऑपरेशन सिलक्यारा परवान चढ़ाया और एक अद्वितीय बचाव अभियान को समाप्त किया। रैट माइनर्स की शौर्यपूर्ण कहानी ने मानवीयता की जीत को प्रमोट किया और एक सशक्त समाज की ऊंचाईयों को छूने का संकेत दिया।