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हिमालय के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है: प्रोफेसर जफ़र अहमद रेशी

10:06 PM Sep 10, 2024 IST | CNE DESK
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✍️ कटारमल (अल्मोड़ा) स्थित गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान का स्थापना दिवस
✍️ पहाड़ में वनाग्नि रोकथाम के लिए कार्ययोजना बनाना जरुरी: अजय टम्टा
✍️ पद्मश्री प्रोफेसर एएन पुरोहित समेत कई विशेषज्ञों ने दीं खास जानकारियां

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सीएनई रिपोर्टर, अल्मोड़ा: कश्मीर विश्वविद्यालय श्रीनगर के वरिष्ठ प्रोफेसर जफ़र अहमद रेशी ने कहा है कि हिमालय के दुर्लभ प्रजातियों के प्रबंधन पर हिमालय के प्रहरियों को विशेष ध्यान केंद्रित करना होगा और यह याद रखना होगा कि हिमालय के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। प्रो. रेशी आज गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान कोसी कटारमल अल्मोड़ा के स्थापना दिवस एवं पंडित पंत की जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। मुख्य अतिथि केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा ने संस्थान की उपलब्धियों की प्रशंसा करते हुए वैज्ञानिकों से पहाड़ में वनाग्नि की रोकथाम के लिए कार्ययोजना बनाने पर जोर दिया।

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संस्थान में आयोजित 30वां पंडित गोविन्द बल्लभ पंत स्मारक व्याख्यान के मुख्य वक्ता प्रोफेसर जफ़र अहमद रेशी ने 'पर्वतों के प्रहरी: हिमालय की उच्चभूमि में आक्रमणकारी वनस्पतियों से संघर्ष' विषयक व्याख्यान विस्तार से प्रस्तुत किया। उन्होंने हिमालयी क्षेत्रों में विभिन्न आक्रामक विदेशी प्रजातियों के बारे में विस्तार से समझाते हुए कहा कि इन विदेशी आक्रामक प्रजातियों ने हिमालयी क्षेत्रों में पायी जाने वाली महत्वपूर्ण और दुर्लभ प्रजातियों को समाप्त कर दिया या समाप्ति की कगार पर पहुंचा दिया। जिनके समाधान के लिए हिमालयी क्षेत्र में रहने वाले सभी को एकजुट होकर आगे आने की जरूरत है। उन्होंने स्पष्ट किया कि हिमालय के बिना हमारा अस्तित्व नहीं है। इस बात को ध्यान में रखते हुए हिमालय से जुड़े सभी हितधारकों को नीतिगत समाधान करने के लिए प्रजातियों के प्रबंधन की दिशा में अपना ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता है। व्याख्यान के माध्यम से प्रोफेसर रेशी ने बताया कि विश्व में लगभग 37000 आक्रामक प्रजातियां हैं और प्रतिवर्ष 200 प्रजातियां बढ़ती जा रही हैं। इससे पहले संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. आईडी भट्ट ने प्रोफेसर जफ़र अहमद रेशी का परिचय देते हुए उनके शोध कार्यों के बारे में बताया।

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इससे पहले पंडित गोविंद बल्लभ पंत की जयंती एवं संस्थान के स्थापना दिवस समारोह का शुभारंभ अतिथियों ने पंडित पंत की मूर्ति पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ किया। तत्पश्चात संस्थान के निदेशक प्रो. सुनील नौटियाल ने अतिथियों एवं उपस्थितजनों को संस्थान व उसकी शाखाओं द्वारा हिमालयी क्षेत्रों में हो रहे विभिन्न शोध और विकासात्मक कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने संस्थान की प्रगति आख्या प्रस्तुत करते हुए कहा कि विगत वर्षों में संस्थान नें जैव विविधता संरक्षण, सामाजिक एवं आर्थिक विकास, जलवायु परिवर्तन तथा जल जमीन संसाधनों के प्रबंधन के क्षेत्र में समन्वित प्रयास किये है। संस्थान विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं जैसे हिमालयी क्षेत्र के लोगों की आजीविका वर्धन, जैव विविधता संरक्षण, चीड की पत्तियों से विभिन्न सामग्रियों का निर्माण, औषधीय पादपों के उत्पादन के तरीकों को जनमानस तक पहुंचाना तथा पानी के स्रोतों के संरक्षण इत्यादि को धरातल पर उतारने हेतु प्रयासरत है। निदेशक ने पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त का हिमालय क्षेत्र के विकास में दिए गए योगदान के बारे में बताया। साथ ही वैश्विक स्तर पर सतत विकास के 17 लक्ष्यों और संस्थान द्वारा उन पर किये जा रहे कार्यो से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों में तटीय क्षेत्रों की भांति पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित करने की बात कही। उन्होंने संस्थान के दो वैज्ञानिकों को पद्मश्री पुरस्कार मिलने को संस्थान के लिए गौरवशाली बताया और शोध क्षेत्रों को इससे सीख लेने की बात कही।

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मुख्य अतिथ केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा ने संस्थान शोध कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पंडित गोविन्द बल्लभ पन्त ने देश, समाज व मानव कल्याण के लिए अनेकों कार्यों को अंजाम दिया, जिन्हें आज हमें आत्मसात करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पंडित पंत जैसे प्रखर व संघर्षशील व्यक्तित्व की जन्मस्थली में स्थित यह संस्थान आज अपने शोध और विकास कार्यों को वैश्विक स्तर पर फैला रहा है, जो गौरव की बात है। उन्होंने वैज्ञानिकों व संस्थान का ध्यान खींचते हुए कहा कि वनाग्नि से प्रतिवर्ष सैकड़ों जीव जंतुओं और वनस्पतियों को नुकसान पहुंच रहा है और उनका जीवन प्रभावित हो रहा है। ऐसे में उन्होंने संस्थान से वनाग्नि की रोकथाम के लिए उचित कार्ययोजना बनाने की अपील की।

विशिष्ठ अतिथि पद्मश्री प्रोफेसर एएन पुरोहित ने संस्थान के उत्कृष्ठ शोधों व विकास कार्यों की सराहना की। उन्होंने कहा कि संस्थान ने अपने शोध और विकास कार्यों की बदौलत राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अनूठी पहचान बनायी है। उन्होंने युवा शोधार्थियों से अपने शोध और विकास कार्यों को धरातलीय स्तर पर लाने की अपील की। उन्होंने कहा बदलते जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण दिनों दिन प्रभावित होता जा रहा है। ऐसे में हमें एकजुट और सजग होकर इसके समाधान के लिए कार्य करने की जरुरत है। विशिष्ठ अतिथि इसीमोड़ माठमांडू से आए पद्मश्री प्रोफेसर एकलव्य शर्मा ने बताया कि इसीमोड़ आठ देशों के सानिध्य में हिमालय पर शोध और विकास कर रहा है, जिसमें भारत की तरफ से गोविन्द बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयी पर्यावरण संस्थान की भूमिका मुख्य है। उन्होंने हिन्दु कुश हिमालयी क्षेत्रों के संरक्षण और संवर्धन हेतु आगे आकर कार्य करने की बात कही। विशिष्ट अतिथि पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार की संयुक्त सचिव नमिता प्रसाद ने वर्चुअली संस्थान को उसके विकासात्मक कार्यों के लिए अग्रिम शुभकामनाएं प्रेषित की और भविष्य में भी इसके सकारात्मक परिणामों की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि यह संस्थान अपने कार्यों द्वारा पर्यावरण मंत्रालय और नीति आयोग की उम्मीदों पर खरा उतरा है। उन्होंने सभी से आक्रमणकारी प्रजातियों के व्याख्यान का अधिक से अधिक लाभ लेकर आत्मसात करने की अपील की।

सोबन सिंह जीना विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. सतपाल सिंह बिष्ट ने बतौर विशिष्ट अतिथि संस्थान के विकास कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि हिमालय पर कार्य करने में संस्थान ने अपनी स्थापना से लेकर आज तक काफी उत्कृष्ट कार्य किये। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार नीतियों को समाज में आत्मसात करने की अति आवशकता है। उन्होंने इस बात सोचनीय बताया कि उत्तराखंड राज्य अपनी आर्थिक संवर्धन को उचित पहचान नहीं दे पाया है। इसलिए इस दिशा में मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है। प्रो. बिष्ट ने इंटीग्रेटेड फ्रेमवर्क मॉडल पर भी कार्य करने की बात कही। उत्तराखंड जैव विविधता काउंसिल हल्दी पंतनगर के निदेशक प्रोफेसर संजय कुमार ने भी संस्थान के कार्यों की प्रशंसा की। कार्यक्रम में पूर्व विधायक कैलाश शर्मा, सीएमओ डा. आरसी पंत, डा. वसुधा पन्त, निवर्तमान पाालिकाध्यक्ष प्रकाश चंद्र जोशी, उपपा के केंद्रीय अध्यक्ष पीसी तिवारी, प्रो. जेएस रावत, डा. जीसीएस नेगी, डा. एसएस सामन्त, डा. सुमित पुरोहित, डा. अरुण जुगरान, संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. पारोमिता घोष, इंजीनियर एमएस लोधी सहित संस्थान के समस्त वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं शोधार्थियों समेत 250 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।अन्त में गणमान्य अतिथियों द्वारा संस्थान के प्रकाशनों का विमोचन किया। समारोह कार्यक्रम का संचालन शोध छात्रा श्रीया अधिकारी और संस्थान के वैज्ञानिक डा. मिथिलेश सिंह ने किया जबकि समापन पर संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. जेसी कुनियाल के धन्यवाद ज्ञापित किया।

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